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छूट मिली तो फिर बनेंगे हजारों भूखण्डों के पट्टे

- कृषि भूमि पर बसी कॉलोनियों का मामला
श्रीगंगानगर। राज्य सरकार ने प्रदेश में कृषि भूमि पर बसी आवासीय कॉलोनियों के भूखण्डों के अपंजीकृत दस्तावेजों के आधार पर नियमन तथा पट्टे जारी करने की अन्तिम तिथि बढ़ाने का निर्णय लिया है। इस विषय में वित्त विभाग के प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिया है। इस निर्णय से कृषि भूमि पर आवासीय कॉलोनियों में बड़ी संख्या में बसी आबादी को लाभ मिलेगा। यदि इस तरह की छूट वास्तविकता में मिलती है, तो उन हजारों लोगों को राहत भी मिलेगी, जिन्होंने पिछले अभियान के दौरान पट्टों के लिए आवेदन किया था, लेकिन उनकी कॉलोनी यूआइटी से मंजूर नहीं होने के कारण पट्टे नहीं बन पाए थे। सूत्रों के अनुसार ऐसे आवेदकों की संख्या एक हजार से भी कहीं ज्यादा है। करीब 400 आवेदक ऐसे भी हैं, जिनके दस्तावेजों में कमी थी।
अब सरकार ने क्या छूट दी है, इसके बारे में तो नगर विकास न्यास में गाइडलाइन आने के बाद पता चल पाएगा। स्वीकृत प्रस्ताव के अनुसार, कृषि भूमि पर बसी आवासीय कॉलोनियों के भूखण्डों के अपंजीकृत दस्तावेजों के निष्पादन की कट ऑफ  डेट  31 दिसम्बर, 2018 तक तथा नियमित पट्टे के लिए आवेदन की अन्तिम तिथि 31 दिसम्बर, 2020 तक बढ़ाई जा रही है। वर्तमान में कृषि भूमि पर बसी आवासीय कॉलोनियों के भूखण्डों के लिए 17 जून, 1999 से पूर्व में जारी अपंजीकृत दस्तावेजों के निष्पादन की कट ऑफ  डेट 30 अक्टूबर, 2016 तथा   17 जून, 1999 से पश्चात् जारी अपंजीकृत दस्तावेजों के निष्पादन की कट ऑफ  डेट 30 जून, 2016 निर्धारित है। इन तिथियों को अब आगे बढ़ाकर 31 दिसम्बर, 2018 करने का निर्णय लिया गया है।
इस निर्णय से कृषि भूमि पर बसी कॉलोनियों में भूखण्डों के लिए नियमित पट्टे जारी करने से राज्य सरकार को स्टाम्प ड्यूटी, प्रीमियम राशि तथा लीज रेंट आदि के माध्यम से राजस्व प्राप्त होगा और स्थानीय नगरीय निकायों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी। जानकारों का कहना है कि ऐसा तभी होगा, जब सरकार वास्तविकता में छूट देगी। यदि पिछली सरकार की तरह दस्तावेजी नियम लागू रहे तो पट्टों का इंतजार कर रहे लोगों को बहुत ज्यादा राहत नहीं मिल पाएगी।


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