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'डिब्बेÓ में गंवाने के बावजूद सबक लेनेे को तैयार नहीं हैं व्यापारी

- हर साल डिब्बे में डूबते हैं कई व्यापारी
- अरंडी का फटका
श्रीगंगानगर। एनसीडीईएक्स के स्थानीय शब्द 'डिब्बेÓ में करोड़ों रुपए गंवाने के बावजूद भी श्रीगंगानगर के व्यापारी सबक लेनेे को तैयार नहीं हैं। औसतन हर साल दो से तीन ऐसे मामले सामने आते हंै, जिसमें व्यापारियों को करोड़ों रूपयों का नुकसान होता है। परन्तु इसके बावजूद व्यापारी इससे सबक नहीं ले रहे हैं। अरंडी को लेकर पिछले दिनों गंगानगर में हुई घटना के बाद भी व्यापारी सावचेत की मुद्रा में कतई नहीं हैं। अब भी रोजाना डिब्बे में कारोबार हो रहा है।
इससे जुड़े ताजा मामले में एक प्राइवेट मंडी का बड़ा व्यापारी शामिल रहा। लंबे समय से डिब्बे में काम कर रहे इस व्यापारी ने कई बार मुनाफा कमाया, लेकिन पहली बार उसे करोड़ों की चपत लगी है। श्रीगंगानगर जैसे शहर में किसी व्यापारी को करोड़ों की चपत लगना सामान्य घटना नहीं है। इससे व्यापार तो प्रभावित होता ही है, साथ में दूसरे व्यापारियों पर भी प्रश्नचिह्न लगता है। उनकी साख भी डांवाडोल होती है और लेनदारियों से ज्यादा देनदारियां परेशान करती हैं।
हैरानी की बात है कि यह स्थिति तब है, जब हर साल ऐसे एकाध मामले सामने आते रहते हैं। इसके बावजूद व्यापारी मोटा मुनाफा कमाने के चक्कर मेें 'बड़ा दांवÓ लगाने से नहीं चूकते। इस दौरान वे नुकसान नहीं, केवल संभावित मुनाफा देखते हैं। 'बड़ा दांवÓ लगाने वाले व्यापारी अगर समय रहते संभल जाएं और पिछली घटनाओं से सबक लेते हुए कारोबार करें तो कारोबार में नुकसान से बचा जा सकता है।
पता नहीं इस मामले में फायदा किसे हुआ, लेकिन नुकसान व्यापार और व्यापारियों का हुआ है। जैसे-जैसे लोगों को घटना की जानकारी मिल रही है, वैसे-वैसे लेनदार सम्पर्क कर रहे हैं। इससे न सिर्फ उक्त व्यापारी पर दबाव पड़ रहा है बल्कि कारोबार भी प्रभावित हो रहा है।
सबसे महत्वपूर्ण ये कि व्यापारियों का आपसी विश्वास दरक रहा है। आपस में लेन-देन करते समय व्यापारी अब कई बार सोचता है कि इसकी वापिसी कैसी होगी? विश्वास की इसी कमी के चलते आगामी सौदों पर भी संशय की तलवार लटक गई है।


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