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दुआओं का असर, लौट आया मोहित

- एक माह पहले गोधों की टक्कर से हुआ था गंभीर घायल
श्रीगंगानगर। एक माह पहले तीन ई छोटी में एसएसबी रोड पर गोधों की लड़ाई की चपेट में आकर गंभीर घायल हुआ मोहित लाखों-करोड़ों दुआओं से जयपुर में सफल इलाज के बाद आज घर लौट आया है। यहां पहुंचते ही समाजसेवी जयदीप बिहाणी के निवास पर बिहाणी परिवार के सदस्यों ने मोहित व उसके पिता पवन गर्ग का स्वागत किया। मोहित के शीघ्र पूर्ण स्वस्थ होने की कामना की।
पवन गर्ग ने बताया कि 10 सितम्बर को मोहित दुकान से अपने नागौरी कॉलोनी स्थित घर जाते समय रास्ते में लड़ते हुए दो गोधों की टक्कर से गंभीर घायल हो गया था। उसका श्रीगंगानगर के एक निजी अस्पताल में लीवर का ऑपरेशन किया गया। इसके बाद मोहित को मेदांता अस्पताल में रेफर कर दिया गया। यहां उपचार के दौरान लीवर से खून का रिसाव बंद नहीं होने पर मोहित को जयपुर में इलाज के लिए ले जाया गया। वहां सीके बिड़ला अस्पताल में दूसरी बार मोहित के लीवर का ऑपरेशन हुआ।
इस दौरान शरीर में खून का रिसाव ज्यादा होने से इन्फेक्शन भी बढ़ गया। इसका दुष्प्रभाव मोहित के गुर्दों पर पड़ा। गुर्दो में पानी जमा होने लगा, जिसे शरीर से बाहर निकालने के लिए थैली लगाई गई।
पानी का रिसाव बंद होने के बाद मोहित को सीके बिड़ला अस्पताल के आईसीयू से जनरल वार्ड में शिफ्ट किया गया। कल सघन जांच के बाद डॉक्टरों ने इस हिदायत के साथ मोहित को घर ले जाने की इजाजत दे दी कि उसे दस दिन बाद जांच के लिए अस्पताल लाना होगा। मोहित अभी काफी कमजोर है। वह हल्के पांव से चल फिर पाता है। डॉक्टरों के निर्देशानुसार अब उसे नॉर्मल डाइट दी जा रही है। उसके पूर्ण स्वस्थ होने में अभी पांच-छह माह का समय लगेगा। तब तक उसे बेड रेस्ट के साथ निरंतर दवाएं दी जाएंगी।
जयदीप बिहाणी ने उठाया इलाज का खर्च
पवन गर्ग के अनुसार 15 सितम्बर को जब मेदांता अस्पताल में मोहित गंभीर हालत में था। तब जयदीप बिहाणी ने खुद उनसे सम्पर्क कर मोहित की स्थिति के बारे में जानकारी ली थी। अगले दिन जयदीप अस्पताल पहुंचे ओर मोहित को जयपुर ले जाने की व्यवस्था करवाई। उसी समय जयदीप ने इलाज की जिम्मेदारी स्वीकार ली थी। इसके बाद जयपुर में मोहित के इलाज पर क्या लगा, क्या नहीं इसकी जानकारी पवन तक को नहीं है। पवन ने बताया कि सोशल मीडिया पर मोहित के बारे में सूचनाएं डाले जाने के बाद अनेक संस्थाओं  ने भी सहयोग के लिए हाथ बढ़ाया। जब जयपुर में मोहित के लिए खून की जरूरत पड़ी तो देश भर से रक्तदानी संस्थाओं के फोन उनके पास आते रहे। पवन का मानना है कि जन सहयोग व करोड़ों लोगों की दुआओं से मोहित को नया जन्म मिला है।


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