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सिंगल यूज प्लास्टिक : लोग मानस बना चुके थे, सरकार ही पीछे हट गई

श्रीगंगानगर। सिंगल यूज प्लास्टिक का मुद्दा कई दिनों से पूरे देश में छाया हुआ था। प्रधानमंत्री ने भले ही महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती के अवसर पर सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ अभियान चलाने की बात कही थी लेकिन अभियान को सिंगल यूज प्लास्टिक पर 'प्रतिबंधÓ मान लिया गया। आम जनता और दुकानदार सभी दो अक्टूबर से सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाना सुनिश्चित मानकर चल रहे थे। अगर सरकार प्रतिबंध लगा देती तो किसी ने चंू तक नहीं करना था लेकिन सरकार ही पीछे हट गई।
सिंगल यूज प्लास्टिक के कारण प्रकृति को कितना कुछ झेलना पड़ रहा है, यह हम सभी जानते हैं। पर्यावरण को बचाने के लिए जो कदम फौरन उठाए जाने की पैरवी की जा रही है, उसमें सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध भी शामिल है। अगर सरकार यह प्रतिबंध लगा देती तो यह पर्यावरण के हित में बहुत बड़ा कदम साबित होता मगर ऐसा संभव नहीं हो पाया है।
भले ही सरकार के स्तर पर कभी नहीं कहा गया कि दो अक्टूबर से सिंगल यूज प्लास्टिक को बैन कर दिया जाएगा लेकिन जिस प्रकार का माहौल बन रहा था, जिस तरह से मीडिया में खबरें आ रही थीं वह सब सिंगल यूज प्लास्टिक को बैन करने की ओर ही इशारा कर रहा था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सख्त रवैये वाली छवि के चलते लोगों ने सिंगल यूज प्लास्टिक का विकल्प तलाशने भी शुरू कर दिए थे। छोटे-छोटे दुकानदार तक यह कहने लगे थे कि भाई साहब दो तारीख से पॉलिथीन मत मांगना। फ्लैक्स प्रिंटिंग वालों ने एक अक्टूबर के बाद फ्लैक्स नहीं छापने की बात कह दी थी। लोगों को लग रहा था कि हर हाल में सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगेगा मगर सरकार ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया है।
सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया, इसके पीछे सुस्त अर्थ व्यवस्था और मंदी के कारण हजारों लोगों की नौकरियां चले जाने से बने निराशाजनक माहौल को जिम्मेदार माना जा रहा है। सरकार को लगा कि अगर सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगा दिया तो बेरोजगारी मेंं और बढ़ोतरी हो जाएगी। सिंगल यूज प्लास्टिक कारखानों के मालिक, मजदूर, सिंगल यूज प्लास्टिक उत्पादों को बेचने वाले होलसेलर, रिटेलर आदि तमाम लोग सड़क पर आ जाएंगे। इसका खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ेगा।
नोटबंदी, जीएसटी की खामियों आदि से भाजपा को बहुत आलोचना झेलनी पड़ी है। लिहाजा सरकार, सिंगल यूज प्लास्टिक बैन करके आलोचनाओं का एक और दरवाजा नहीं खोलना चाहती थी। समझा जाना चाहिए कि सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध न लगाकर सरकार एक बड़े वर्ग की नाराजगी से बच गई है लेकिन इससे मोदी सरकार की दृढ़ निश्चयी छवि को तो कहीं न कहीं धक्का पहुंचा ही है। साथ ही, सरकार ही पर्यावरण को बचाने संबंधी घोषणाएं भी थोथी साबित हुई हैं।


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