Breaking News

पति की मौत के बाद भी तलाक को चुनौती दे सकती है पत्नी: हाईकोर्ट

चंडीगढ़। तलाक के एक दशक व पति की मौत के एक वर्ष बाद परिजनों के खिलाफ घरेलू हिंसा का केस दाखिल करने वाली जम्मू निवासी महिला को हाईकोर्ट ने कानून का दुरुपयोग करने वाला करार दिया है। साथ ही हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि पति की मौत के बाद भी एक्स पार्टी तलाक के आदेश को कानूनी वारिस के माध्यम से चुनौती दे सकती है।  पीडि़त महिला ने बताया कि वह जम्मू की रहने वाली है और अंबाला के एक व्यक्ति से उसने विवाह किया था। 1995 में विवाह के बाद दोनों के बीच कुछ सही नहीं रहा और वह दो साल से पहले ही मायके वापस आ गई। इसके बाद उसके पति ने उसके खिलाफ तलाक का केस दाखिल कर दिया जिसमें एक्स पार्टी ऑर्डर के तहत तलाक को 2001 में मंजूरी मिल गई।  हालांकि बाद में 2003 में उसके पति ने साथ में रहने की सहमति जताई और दोनों साथ रहने लगे। इसके बाद 2005 में एक और याचिका दाखिल कर तलाक की मांग की, जो खारिज हो गई। महिला ने बताया कि इसके बाद 2010 में पति की मौत हो गई और पति के भाइयों ने याची के पति के फर्जी हस्ताक्षर कर सारी प्रॉपर्टी और बिजनेस अपने नाम कर लिया।  इसके खिलाफ याची गुजारा भत्ता की मांग को लेकर अंबाला जेएमआईसी के पास अर्जी दी जिसे मंजूर कर उसे गुजारा भत्ता देने के आदेश जारी किए गए थे जिसे सेशन कोर्ट ने खारिज कर दिया।  हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि जब 2001 में दी गई तलाक की डिक्री को अवैध ही करार नहीं दिया गया तो वह अभी भी वैध है। साथ ही हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई प्रमाण नहीं दिया गया जिससे यह साबित होता हो कि याची पति के साथ उनके भाईयों के साझा घर में लंबे समय केलिए रही है।  ऐसे में याची के पति के भाई उसको गुजारा भत्ता देने के लिए बाध्य नहीं हैं। हालांकि हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि पति की मौत हो चुकी है तो भी तलाक के आदेश को चुनौती दी जा सकती है।

No comments