Breaking News

श्रीगंगानगर समेत राज्य के विभिन्न शहरों मेंं बढ़ रहे कोचिंग संस्थान

- कोचिंग संस्थानों का नियमन करेगी सरकार
- स्टेट लेवल कमेटी गठित
श्रीगंगानगर। राज्य में तेजी से बढ़ रहे कोचिंग संस्थानों के नियमन और निंयत्रण के बारे में सुझाव देेने के लिए राज्य सरकार ने एक राज्यस्तरीय समिति का गठन किया है। यह समिति कोचिंग संस्थानों में पढ़ रहे बच्चों के तनाव को कम करने के लिए किए जाने वाले उपायों के बारे में भी सुझाव देगी।
राज्य में कोटा के साथ ही श्रीगंगानगर, जयपुर, जोधपुर, सीकर, गंगापुर सिटी, झुंझुनूं और कुछ अन्य शहरों में भी कोचिंग संस्थान बढ़ रहे है। इन शहरों में मेडिकल और इंजीनियरिंग के अलावा लॉ, मैनेजमेंट, सीए, सीएस जैसे पाठयक्रमों में प्रवेश के लिए तैयारी कराई जाती है। इसके अलावा सिविल सेवाओं और अन्य सरकारी भर्तियों के लिए भी कोचिंग संस्थान तैयारी करा रहे हैं।
समिति के सदस्य समिति द्वारा नामित किये गये सदस्य अन्य राज्यों का दौरा करेंगे तथा वहां पर कोचिंग संस्थानों के लिए लागू नियमों का अध्ययन करेंगे। समिति गहनता से विचार विमर्श कर व्यापक विधायी प्रारूप तैयार करेगी। इसके साथ ही समिति कोचिंग संस्थानों बच्चों पर पडऩे वाले मानसिक तनाव को दूर करने के लिए भी अपने सुझाव देगी। इस तरह की समिति बनाए जाने की चर्चा पिछली भाजपा सरकार के समय भी हुई थी और तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री ने इसके बारे मे विधानसभा में घोषणा भी की थी, लेकिन समिति बनाई नहीं गई।
समिति में कोटा एवं सीकर के जिला कलेक्टर तथा पुलिस अधीक्षक, मनोचिकित्सा केन्द्र, जयपुर के अधीक्षक, बीकानेर के शिक्षाविद् अमीचंद सदस्य होंगे। इसके अतिरिक्त लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज नई दिल्ली, के एसोसिएट प्रोफेसर,डॉ. शिवप्रसाद, बाल अधिकार कार्यकर्ता यज्ञदत्त हाडा, शिक्षा सलाहकार राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग मधुलिका शर्मा, सीकर के ईम्पलस कोचिंग संस्थान से महावीर हुडडा तथा रिजोनेन्स कोटा के प्रतिनिधि, बाल मनोविज्ञान के क्षेत्र में कार्य कर रही स्वयंसेवी संस्था उद्यान केयर जयपुर, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइन्स, मुम्बई के प्रतिनिधि तथा स्कूल शिक्षा विभाग के वरिष्ठ संयुक्त विधि परामर्शी भी सदस्य होंगे। इनके अलावा महाधिवक्ता अथवा उनके प्रतिनिधि, वरिष्ठ अधिवक्ता सुधीर गुप्ता विशेष आमंत्रित होंगे। समिति में स्कूल शिक्षा विभाग के शासन उप सचिव सदस्य सचिव होंगे।
राज्य सरकार कोचिंग को बड़ी सम्भावना वाले व्यवसाय के रूप में देख रही है, क्योंकि इन कोचिंग संस्थानों के कारण राज्य में करीब पांच लाख लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिला हुआ है। राज्य में अभी कोचिंग संस्थानों पर किसी तरह के नियम लागू नहीं है।
कोटा में जिला प्रशासन ने कुछ गाइड लाइन जरूर तय कर रखे है, लेकिन वे भी ज्यादातर बच्चों की कांउसलिंग और तनाव रहित कोचिंग के बारे में है। कोई नियम या कानून नहीं है। कोई भी व्यक्ति दो कमरे खाली देख कर वहां कोचिंग शुरू कर देता है। न कोचिंग करने वालो की शैक्षणिक योग्यता का पता होता है और न ही संस्थानों में सुरक्षा मानको का ध्यान रखा जाता है।
इसके अलावा कई कोचिंग संस्थानों के संचालक सरकारी भर्तियों की प्रतियोगी परीक्षाओं में गड़बड़ी करते या कराते भी पाए गए हैं। इन सब स्थितियों को देखते हुए सरकार अब कोचिंग संस्थानों पर नियंत्रण और नियमन की व्यवस्था करना चाहती है। इसके लिए एक तरफ जहां शहरी विकास विभाग को शहरों में कोचिंग हब विकसित करने को कहा गया है, वहीं एक समिति भी गठित की गई है जो नियंत्रण व नियमन का कानूनी दस्तावेज तैयार कर सरकार को देगी।


No comments