सोलह दिन चलेगा पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का दौर
- पितृपक्ष 13 सितंबर से, शुभ एवं मांगलिक कार्यों पर लगेगा विराम
श्रीगंगानगर। इस बार पितृपक्ष 13 सितंबर को आरंभ होगा। इस दिन से लोग अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करेंगे। श्राद्ध 28 सितंबर तक चलेंगे। इस दौरान मांगलिक एवं शुभ कार्यों पर विराम लग जाएगा।
पंडित सत्यपाल पाराशर ने बताा कि श्राद्ध पक्ष के 16 दिन मेंं विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश और भूमि पूजन सहित सभी मांगलिक कार्यों पर विराम रहेगा।
उन्होंने बताया कि सूर्य में कन्या राशि के आने पर श्राद्ध पक्ष प्रारंभ होता है। श्राद्ध पक्ष श्रद्धा का प्रतीक है। मान्यता है कि श्राद्ध पक्ष में पित्तर धरती पर आते हैं। शास्त्रानुसार पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति के लिए श्रद्धा के साथ किया जाने वाला कर्म श्राद्ध कहलाता है। पित्तर प्रसन्न होकर उन्हें यश, वैभव, कीर्ति, सुख-समृद्धि, आरोग्य, आदि का आशीर्वाद देते हैं। श्राद्ध पक्ष में ब्राह्मण भोजन, गऊ ग्रास व कौए को भोजन कराने का विशेष महत्व है।
पंडित पाराशर ने बताया कि 29 सितंबर को शारदीय नवरात्रों की धूम आरंभ हो जाएगी। इसी के साथ शुभ एवं मांगलिक कार्यों की शुरुआत होगी।
श्रीगंगानगर। इस बार पितृपक्ष 13 सितंबर को आरंभ होगा। इस दिन से लोग अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करेंगे। श्राद्ध 28 सितंबर तक चलेंगे। इस दौरान मांगलिक एवं शुभ कार्यों पर विराम लग जाएगा।
पंडित सत्यपाल पाराशर ने बताा कि श्राद्ध पक्ष के 16 दिन मेंं विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश और भूमि पूजन सहित सभी मांगलिक कार्यों पर विराम रहेगा।
उन्होंने बताया कि सूर्य में कन्या राशि के आने पर श्राद्ध पक्ष प्रारंभ होता है। श्राद्ध पक्ष श्रद्धा का प्रतीक है। मान्यता है कि श्राद्ध पक्ष में पित्तर धरती पर आते हैं। शास्त्रानुसार पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति के लिए श्रद्धा के साथ किया जाने वाला कर्म श्राद्ध कहलाता है। पित्तर प्रसन्न होकर उन्हें यश, वैभव, कीर्ति, सुख-समृद्धि, आरोग्य, आदि का आशीर्वाद देते हैं। श्राद्ध पक्ष में ब्राह्मण भोजन, गऊ ग्रास व कौए को भोजन कराने का विशेष महत्व है।
पंडित पाराशर ने बताया कि 29 सितंबर को शारदीय नवरात्रों की धूम आरंभ हो जाएगी। इसी के साथ शुभ एवं मांगलिक कार्यों की शुरुआत होगी।
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