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श्रीगंगानगर में करोड़ के पार हुआ 'लड्डू गोपालÓ का कारोबार

अब मौसम के हिसाब से कूलर-एसी और हीटर भी
अबोध लाला के लिए चेस और कॉमिक्स
श्रीगंगानगर। लड्डू गोपाल, उनकी पौशाक और आमोद-प्रमोद का सामान अब बड़े व्यवसाय का रूप ले चुका है। श्रीगंगानगर शहर को ही लें तो कन्हैया का बाल रूप लड्डू गोपाल एक करोड़ से भी अधिक का व्यवसाय हर वर्ष करवाने लगा है।
अकेले जन्माष्टमी पर लड्डू गोपाल की पोशाक आदि पर सत्तर-अस्सी लाख रूपए इस शहर की वह महिलाएं खर्च कर रही हैं। जिनकी दिनचर्या का हिस्सा कान्हा का यह रूप बन चुका है। इस दिन प्रसाद, केक, फूल-फल और घर पर ही होने वाले छोटे-बड़े आयोजन का खर्च इससे अलग है।
महिलाओं में लड्डू गोपाल के बढ़ते क्र्रेज को देखते हुए शहर में इसके कारोबारियों की संख्या पिछले सालों में लगातार बढ़ी है। अब मनियारी का सामान बेचने वालों ने भी अतिरिक्त आमदनी का जरिया लड्डू गोपाल को बना लिया है। वरना तो शहर में एक-दो दुकानें ही थीं, जहां लड्डू गोपाल और उनकी पोशाकों की बिक्री होती थी।
ब्रांडेड को भी पछाड़ा
जन्माष्टमी पर लड्डू गोपाल की पोशाकों की बिक्री ने शहर में खुले ब्रांडेड कम्पनियों के शोरूम को पछाड़ दिया है। कीमत के मामले में भी लड्डू गोपाल की पोशाक ब्रांडेड कम्पनियों के कपड़ों से पीछे नहीं है। पौशाक की शुरूआती कीमत 25-30 रूपए है तो 500 से 2500 रूपए तक की पोशाक भी बाजार में उपलब्ध है। साइज के हिसाब से देखें तो ब्रांडेड कम्पनी के किसी भी कपड़े से वह कीमत कई गुना ज्यादा है। लड्डू गोपाल की पोशाक का निर्माण कंस की नगरी मथुरा में होता है।
अब कूलर-एसी भी
भौतिकवाद का असर लड्डू गोपाल के कारोबार पर भी पड़ा है। दो-चार साल पहले लड्डू गोपाल के लिए पोशाक और ऋतु के हिसाब से ओढऩे-बिछोने के वस्त्र ही जरूरी थे। लेकिन अब लड्डू गोपाल के लिए कूलर, एसी और हीटर ही नहीं, खेल का सामान भी उपलब्ध है। शिक्षा के लिए कन्हैया किशोर बस से गुरू सांदीपनि के आश्रम में गए थे। लेकिन कारोबारियों ने तो अबोध लड्डू गोपाल के लिए ही कॉमिक्स सहित कई किताबें तैयार कर कमाई का नया तरीका ढूंढ लिया है।
कब हुआ आगमन
शहर में लड्डू गोपाल, उनकी पोशाक और अन्य सामग्री की बिक्री का काम पच्चीस साल पहले बंसल ट्रेडर्स वाले श्री श्योपत बंसल ने शुरू किया। पुराने दिनों को याद करते हुए बंसल ने बताया कि तब वैश्य (बनिया) समाज में ही लड्डू गोपाल की मान्यता था। आज तो हर समाज में लड्डू गोपाल पूजनीय हो गए हैं। इससे कारोबार और कारोबारी दोनों बढ़े हैं। शादी के समय बेटी के दिए जाने वाले उपहार में भी लड्डू गोपाल शामिल हो गए हैं।

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