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हनुमानगढ़ का दुष्कर्म मामला एक बार फिर चर्चा मेंं

- पीडि़ता ने संगरिया व पीलीबंगा विधायकों के साथ सीएम तक पहुंच कर लगाई गुहार
- नगर पालिका के अधिकारी के खिलाफ चार्जशीट पेश करने की मांग
श्रीगंगानगर। हनुमानगढ़ की एक महिला से कथित दुष्कर्म का मामला मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक पहुंच गया है। महिला ने चार साल पहले जयपुर के एक थाने मेंं हनुमानगढ़, पीलीबंगा समेत विभिन्न नगर पालिकाओं मेंं लेखाधिकारी, आयुक्त और अधिशासी अधिकारी रह चुके राकेश मेहंदीरत्ता के खिलाफ यह मामला दर्ज कराया था।
इस महिला ने तीन दिन पहले सीएम को ज्ञापन भेजकर आत्मदाह कर लेने की चेतावनी दी थी और अब महिला संगरिया के विधायक गुरदीप शाहपीनी और पीलीबंगा धर्मेन्द्र मोची के साथ कल जयपुर में सीएम से मिली और न्याय की गुहार लगाई। इसी के साथ यह मामला फिर चर्चा मेंं आ गया है।
 महिला ने सीएम के समक्ष आरोप लगाया कि चार साल तक जांच के बाद पुलिस ने दुष्कर्म के आरोप प्रमाणित मान लिए। इसके बावजूद पुलिस मुख्यालय में तैनात एक डीआईजी द्वारा चार्जशीट रोक दी गई।
पीडि़ता ने डीआईजी रवि दत्त गौड़, डीसीपी वेस्ट विकास शर्मा व सिंधीकैंप थाना प्रभारी जुल्फिकार के खिलाफ मिलीभगत का आरोप लगाकर परिवाद दिया। पीडि़ता ने कहा कि ये तीनों मामले में चालान की जगह एफआर लगाना चाहते हैं। इसके चलते सिंधीकैंप थाने के मामले में चार्जशीट काटने के बाद भी चार्जशीट रुकवा ली गई।
पीडि़ता के साथ संगरिया विधायक गुरदीप सिंह शाहपीनी व पीलीबंगा विधायक धर्मेन्द्र मोची भी थे। इस मामले में नोहर विधायक अमित चाचाण, सादुलशहर विधायक जगदीश चंदर तथा संगरिया विधायक गुरदीप सिंह गत दिनों मुख्यमंत्री को पत्र भी लिख चुके हैं।
जानिए, क्या है मामला
हनुमानगढ़ निवासी पीडि़ता ने सिंधी कैंप थाने में जुलाई 2015 को दुष्कर्म का केस कराया था। इसमें हनुमानगढ़ में पीलीबंगा नगर पालिका में तत्कालीन ईओ राकेश अरोड़ा पर आरोप लगाया था। महिला ने रिपोर्ट में कहा कि आरोपी नौकरी लगाने का झंासा देकर जयपुर लाया। जहां अलग-अलग जगह होटलों में दुष्कर्म किया। पुलिस ने जांच में होटलों से रिकॉर्ड लिया और जांच के बाद आरोप प्रमाणित मान लिए। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को गिरफ्तार नहीं करने, पुलिस जांच में सहयोग करने और चार्जशीट पेश होने की स्थिति में कोर्ट में समर्पण करने के लिए कहा था। जांच के बाद सिंधीकैंप थाना पुलिस ने 19 मई 2019 को चार्जशीट नंबर 34/19 को काट ली। इसे न्यायालय में पेश किया जाना था। इसी दौरान आरोपी की दरख्वास्त पर 27 मई को पुलिस मुख्यालय ने चार्जशीट को न्यायालय में पेश होने से रोक दिया। पीडि़ता ने इसकी शिकायत पुलिस मुख्यालय में एडीजी सिविल राइट्स में की। तब सिविल राइट्स विंग ने कमिश्नरेट से फाइल मंगवाकर जांच की। महिला का कहना है कि जांच में सिविल राइट्स विंग ने माना कि आरोपी किसी भी तरह से उच्चाधिकारियों को परिवाद देकर मामले को लंबित करवाना चाहता है जबकि आरोपी के खिलाफ चार्जशीट काटी जा चुकी है। मामला चार साल से विचाराधीन है। ऐसे में आरोपी के खिलाफ चार्जशीट पेश किया जाना उचित रहेगा।


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