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महिलाएं चुनौतियों को स्वीकार करें और आगे बढ़ें

श्रीगंगानगर। सहायक निदेशक (उद्यान) के पद पर कार्यरत प्रीति जैन मानती हैं कि शहरों में फिर भी थोड़ी परिस्थितियां बदली हैं, लेकिन गांवों में आज भी बेटियों को बेटों के बराबर उतनी तवज्जो नहीं दी जा रही, जितनी दी जानी चाहिए। पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को आगे बढऩे के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। महिलाएं इन चुनौतियों को स्वीकार करें और आगे बढ़ें।
एसबीटी से बातचीत करते हुए प्रीति जैन ने स्पष्ट किया कि विकट परिस्थितियों में भी महिलाएं नकारात्मकता के बजाय सकारात्मक दृष्टिकोण रखकर कार्य करेंगी तो निश्चित रूप से सफलता अर्जित होगी। यहां प्रस्तुत हैं बातचीत के कुछ विशेष अंश:
नौकरी और परिवार दोनों में सामंजस्य बैठाना कितना मुश्किल है?
- नौकरी और परिवार दोनों में सामंजस्य बिठाना काफी मुश्किल है। मैं घर का कार्य भी करती हूं और नौकरी में भी पूरा ध्यान देती हूं। घर में बच्चों को भी संभालना होता है। विशेषकर उनकी पढ़ाई की तरफ भी पूरा ध्यान दिया जाता है। डबल एफर्ड करने पड़ते हैं। यदि आप नियमित रूप से दिनचर्या बनाकर कार्य करेंगे तो परिस्थितियां आपके अनुकूल हो जाएंगी।
कृषि के क्षेत्र में अभी क्या किया जा रहा है?
- श्रीगंगानगर के किसानों को किन्नू के क्षेत्र में पहचान दिलाना ही मेरा मुख्य उद्देश्य है क्योंकि किन्नू विश्वप्रसिद्ध है। इस पर लगातार जोर दिया जा रहा है। सौर ऊर्जा, ड्रिप इरीगेशन के माध्यम से किसानों को और प्रोत्साहित करने का कार्य किया जा रहा है। इस क्षेत्र में किसान लगातार आगे बढ़ रहे हैं।
पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में बताएं?
- मेरे भाई पीलीबंगा में एसडीएम हैं। माता, भाभी गृहिणी हैं। दो बेटियां हैं तथा पति बिजनेसमैन हैं। मेरी प्रारंभिक शिक्षा सूरतगढ़ में हुई। इसके बाद मंैंने बीएससी एग्रीकल्चर संगरिया कॉलेज से किया और एमएससी एग्रोनॉमी बीकानेर यूनिवर्सिटी से की।
सहायक निदेशक उद्यान बनने के पीछे आपका क्या उद्देश्य रहा?
- कृषि क्षेत्र में आने से पहले मैं डॉक्टर बनना चाहती थी और मैंने पीएमटी की तैयारी भी की। लेकिन मेरी माता सिंगल थी क्योंकि उनका तलाक हुआ था। वे ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे। मेरी माता का कहना था कि लड़के नहीं भी पढ़ें, तब भी वे कमाकर खा लेंगे, लेकिन बेटी को पढ़ाना बहुत जरूरी है। क्योंकि वह खुद काफी मुश्किल परिस्थितियों से गुजरी थीं। बेटी को शादी के बाद आगे परिवार कैसे मिलेगा, यह कहना मुश्किल होता है। इसीलिए बेटी को पढ़ाया जाना जरूरी है ताकि वह अपने पैरों पर खड़ी हो सके। मैंने जो दुख देखे, वह मेरी बेटी को न देखना पड़े। यहां रहते हुए मैं किसान परिवार की बेटियों से भी मिली और उनके घर भी गई। उनके हालात देखे, जो अन्नदाता जिसका अन्न उगाया हुआ हम खाते हैं, उनके लिए भी हमारी जिम्मेदारी बनती है कि उन्हें हम सशक्त बनाएं। इस कारण मेरा इरादा बदल गया और मैं कृषि के क्षेत्र में आगे बढऩे लगी।
आपने अपने काम में कोई दिक्कत आई?
- मन के हारे हार है, मन के जीते जीत। यदि हम दिक्कत को दिक्कत मानकर चलते हैं, तभी परेशानी होती है। चुनौतियों को स्वीकार करके हमें आगे बढऩा चाहिए। मैंने श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ जिले प्रथम कृषि अधिकारी का पद भार ग्रहण किया, तब लोगों ने काफी कहा कि एक महिला कृषि अधिकारी किस तरह से कार्य करेंगी। सुबह पांच बजे भी फील्ड में जाना पड़ जाता था और रात्रि नौ बजे तक फील्ड में रहते थे। यदि आपको अपने आप पर विश्वास है तो कोई चैलेंज नहीं कर सकता।
आपको क्या लगता है, आज भी पुरुष प्रधान समाज है?
- शहरों में कुछ परिवर्तन आया है, लेकिन गांवों में अभी भी महिलाओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है। बेटियों को एक अच्छे वातावरण की जरूरत है, वे सुरक्षित नहीं हैं। समाज में ऐसी कई घटनाएं हो रही हैं, जिससे काफी दुख पहुंचता है। ऐसा माहौल बनाया जाए, जिससे हमारी बेटियां सुरक्षित रहकर आगे बढ़ सकें।
नौकरी में आने वाली लड़कियों को क्या टिप्स देना चाहेंगी?
- नौकरी में आने वाली लड़कियों के पास इंकम का जरिया है और वे अपनी अच्छी पहचान बना सकती हैं। कई महिलाएं ऐसी भी हैं, जो बहुत अच्छा कार्य कर रही हैं और हमारी आदर्श भी हैं।
इसके विपरीत कुछ महिला सरपंच भी हैं, जो अपने पतियों को साथ लेकर कार्यालय आती हैं। यहां तक कि हमारे ही विभाग की ही महिलाएं फील्ड में जब जाती हैं, तब अपने पतियों को साथ लेकर जाती हैं। मैं कभी भी अपने पति को कार्यालय में लेकर नहीं आई। अपने आप पर विश्वास रखें और महिलाएं आगे बढ़ें।
पर्यावरण के लिए आपने क्या किया है?
- पर्यावरण के लिए मैं लगातार कार्य कर रही हूं। मैंने अपनी कॉलोनी में भी पेड़ लगाए हैं। कई कार्यक्रमों में भाग लिया है। डेढ सौ हेक्टेयर में खजूर लगाए हैं। इसके अलावा दो से तीन हजार हेक्टेयर में किन्नू के बाग लगाए जा चुके हैं। हम किसानों को लगातार प्रेरित कर रहे हैं कि वे बागों के चारों तरफ बायोफेंसी करें। अन्य पौधे लगाएं ताकि हवाओं से बाग सुरक्षित रह सकें।

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