चीनी पर सरकार वसूल रही मंडी टैक्स, व्यापारियों ने जताया विरोध
- बजट में घोषणा नहीं होने पर 20 जुलाई को जयपुर में होगा महासम्मेलन
श्रीगंगानगर। पिछले कई वर्षांे से चीनी पर राज्य सरकार को मंडी टैक्स (प्रति सैंकड़ा 1.60 रुपए) दे रहे व्यापारी विरोध में उतर आए हैं। व्यापारियों ने राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित बजट में मंडी टैक्स समाप्त करने या 50 पैसे करने की मांग की है। ऐसा नहीं होने पर आगामी रणनीति तय करने के लिए 20 जुलाई को जयपुर में व्यापारियों का महासम्मेलन प्रस्तावित है।
गंगानगर-हनुमानगढ़ जिला व्यापार संघ अध्यक्ष हनुमान गोयल ने बताया कि पिछले दिनों जयपुर में इस मुद्दे पर प्रदेशस्तरीय बैठक हुई थी। इसमें चीनी व्यापारियों ने सरकार द्वारा मंडी टैक्स लेने को गलत बताते हुए कहा कि जब पूरे भारत में कहीं भी चीनी पर मंडी टैक्स नहीं है तो राजस्थान में किस आधार पर सरकार इसे व्यापारियों से वसूल रही है? गोयल ने बताया कि राजस्थान मंडी समिति अधिनियम के अनुसार मंडियों में केवल कृषि उपज पर ही टैक्स लेने का अधिकार है जबकि चीनी कृषि उपज नहीं बल्कि औद्योगिक उत्पाद है। इसलिए चीनी पर मंडी टैक्स बनता ही नहीं है। इसके बावजूद सरकार लंबे समय से चीनी व्यापारियों से इसे वसूल रही है। इसकी वजह से ही व्यापारियों को नुकसान हो रहा है।
राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के प्रदेशाध्यक्ष बाबूलाल गुप्ता ने भी इसका समर्थन करते हुए बताया कि राज्य सरकार से चीनी पर मंडी टैक्स पूरी तरह हटाने या इसे 1.60 रुपए की बजाय 50 पैसे प्रति सैंकड़ा करने की मांग की है। अगर सरकार ने बजट में इसकी घोषणा नहीं की तो 20 जुलाई को जयपुर में व्यापारियों का महासम्मेलन प्रस्तावित है। इसमें विरोधस्वरुप आगामी रणनीति पर चर्चा की जाएगी। इसी संदर्भ में प्रदेश स्तर पर 25 व्यापारियों की कमेटी बनाई जा रही है। 11 जुलाई तक इसका गठन किया जाएगा। फिर 20 जुलाई के प्रस्तावित महासम्मेलन के लिए व्यापक सम्पर्क किया जाएगा।
सरकार को हो रहा दोहरा नुकसान
गुप्ता ने बताया कि चीनी पर मंडी टैक्स और 5 प्रतिशत जीएसटी से व्यापारियों और सरकार दोनों को नुकसान है जबकि सरकार को तो दोहरा नुकसान हो रहा है। मंडी टैक्स पेटे व्यापारियों को सालाना 125 करोड़ और राज्य सरकार को 350 करोड़ रुपए के टैक्स का नुकसान हो रहा है।
चीनी पर 5 प्रतिशत जीएसटी और मंडी टैक्स लगने से चीनी महंगी होती है। इसका लाभ पड़ोसी राज्यों के व्यापारियों को मिल रहा है। खुदरा कारोबारी यहां के थोक कारोबारियों के मुकाबले अन्य राज्यों से चीनी खरीदना अधिक फायदे का सौदा मानते हैं। इसका सीधा लाभ यूपी, हरियाणा, मध्यप्रदेश और गुजरात के कारोबारियों को हो रहा है। सीमावर्ती इलाकों में सस्ती चीनी इन राज्यों से आ रही हैं।
श्रीगंगानगर। पिछले कई वर्षांे से चीनी पर राज्य सरकार को मंडी टैक्स (प्रति सैंकड़ा 1.60 रुपए) दे रहे व्यापारी विरोध में उतर आए हैं। व्यापारियों ने राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित बजट में मंडी टैक्स समाप्त करने या 50 पैसे करने की मांग की है। ऐसा नहीं होने पर आगामी रणनीति तय करने के लिए 20 जुलाई को जयपुर में व्यापारियों का महासम्मेलन प्रस्तावित है।
गंगानगर-हनुमानगढ़ जिला व्यापार संघ अध्यक्ष हनुमान गोयल ने बताया कि पिछले दिनों जयपुर में इस मुद्दे पर प्रदेशस्तरीय बैठक हुई थी। इसमें चीनी व्यापारियों ने सरकार द्वारा मंडी टैक्स लेने को गलत बताते हुए कहा कि जब पूरे भारत में कहीं भी चीनी पर मंडी टैक्स नहीं है तो राजस्थान में किस आधार पर सरकार इसे व्यापारियों से वसूल रही है? गोयल ने बताया कि राजस्थान मंडी समिति अधिनियम के अनुसार मंडियों में केवल कृषि उपज पर ही टैक्स लेने का अधिकार है जबकि चीनी कृषि उपज नहीं बल्कि औद्योगिक उत्पाद है। इसलिए चीनी पर मंडी टैक्स बनता ही नहीं है। इसके बावजूद सरकार लंबे समय से चीनी व्यापारियों से इसे वसूल रही है। इसकी वजह से ही व्यापारियों को नुकसान हो रहा है।
राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के प्रदेशाध्यक्ष बाबूलाल गुप्ता ने भी इसका समर्थन करते हुए बताया कि राज्य सरकार से चीनी पर मंडी टैक्स पूरी तरह हटाने या इसे 1.60 रुपए की बजाय 50 पैसे प्रति सैंकड़ा करने की मांग की है। अगर सरकार ने बजट में इसकी घोषणा नहीं की तो 20 जुलाई को जयपुर में व्यापारियों का महासम्मेलन प्रस्तावित है। इसमें विरोधस्वरुप आगामी रणनीति पर चर्चा की जाएगी। इसी संदर्भ में प्रदेश स्तर पर 25 व्यापारियों की कमेटी बनाई जा रही है। 11 जुलाई तक इसका गठन किया जाएगा। फिर 20 जुलाई के प्रस्तावित महासम्मेलन के लिए व्यापक सम्पर्क किया जाएगा।
सरकार को हो रहा दोहरा नुकसान
गुप्ता ने बताया कि चीनी पर मंडी टैक्स और 5 प्रतिशत जीएसटी से व्यापारियों और सरकार दोनों को नुकसान है जबकि सरकार को तो दोहरा नुकसान हो रहा है। मंडी टैक्स पेटे व्यापारियों को सालाना 125 करोड़ और राज्य सरकार को 350 करोड़ रुपए के टैक्स का नुकसान हो रहा है।
चीनी पर 5 प्रतिशत जीएसटी और मंडी टैक्स लगने से चीनी महंगी होती है। इसका लाभ पड़ोसी राज्यों के व्यापारियों को मिल रहा है। खुदरा कारोबारी यहां के थोक कारोबारियों के मुकाबले अन्य राज्यों से चीनी खरीदना अधिक फायदे का सौदा मानते हैं। इसका सीधा लाभ यूपी, हरियाणा, मध्यप्रदेश और गुजरात के कारोबारियों को हो रहा है। सीमावर्ती इलाकों में सस्ती चीनी इन राज्यों से आ रही हैं।
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