मंदिरों मेंं जमकर दिखावा, देवों को समोसा, कचौरी, इडली-डोसे का भोग
- पंडितों ने कहा-देवों को भोग की एक मर्यादा, इसे भंग नहीं किया जाना चाहिए
श्रीगंगानगर। श्रीगंगानगर में इन दिनों एक नया चलन चल पड़ा है। यह चलन है मंदिरों में देवी-देवताओं को गोल-गप्पे, समोसा, कचौरी, डोसा, इडली आदि का भोग लगाने का। कई मंदिरों में यह सब प्रचार का माध्यम बन गया है।
इन मंदिरों मेंं जहां समोसा, कचौरी, डोसा आदि का भगवान को भोग लगाया जाने लगा है, वहीं इसी को श्रद्धालुओं मेंं प्रसाद के रूप में वितरित भी किया जा रहा है।
पूजा-पाठ या आरती के बाद तुलसीकृत जलामृत व पंचामृत के बाद बांटे जाने वाले पदार्थ को 'प्रसादÓ कहते हैं। पूजा के समय जब कोई खाद्य सामग्री देवी-देवताओं के समक्ष प्रस्तुत की जाती है तो वह सामग्री प्रसाद के रूप में वितरण होती है। इसे 'नैवेद्यÓ भी कहते हैं।
पवनपुत्र हनुमान जी को मिष्ठान का भोग लगाने का प्रचलन है लेकिन शहर के कुछ मंदिरों मेंं डोसे का भोग लगाने की खबरें हैं। इसी प्रकार गणेश जी को भले ही मोदक पसंद हों मगर यहां उन्हें कचौरी का भोग लगाया जा रहा है। अन्य देवी-देवताओं के मंदिरों मेंं भी इसी प्रकार से हो रहा है।
पंडित इसे सही नहीं मानते। पंडित सत्यपाल पाराशर का कहना है कि देवी-देवताओं को पारंपरिक रूप से जिन चीजों का भोग लगाने का प्रावधान है, उन्हीं चीजों का भोग लगाया जाना चाहिए। श्रद्धा में दिखावे और प्रचार के लिए कोई जगह नहीं है।
पंडित पाराशर का कहना है कि प्रत्येक देवी और देवताओं को भोग लगाने के लिए पारंपरिक रूप से विभिन्न चीजों का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह एक मर्यादा है, जिसे किसी भी सूरत में भंग नहीं किया जाना चाहिए।
किस देवी-देवता को
प्रिय है कौनसा भोग?
भगवान विष्णु का भोग: श्री हरि को सूजी का हलवा और पंचामृत बहुत प्रिय है। सूजी का हलवा घी में बनाएं और इसमें सूखे मेवे मिलाएं और भगवान को भोग लगाएं। हर रविवार और गुरुवार को विष्णु-लक्ष्मी मंदिर में जाकर उनको भोग लगाने से दोनों प्रसन्न होते हैं और घर में किसी भी प्रकार से धन और संपन्नता की कमी नहीं होती है। इनके भोग में तुलसी जरूर रखें।
शिव भोग
शिव को भांग और पंचामृत पसंद है। शिवलिंग को दूध, दही, शहद, शक्कर, घी, जल से स्नान कराकर भांग-धतूरा, इत्र, चंदन, फूल, रोली, वस्त्र अर्पित किए जाते हैं। शिवजी को रेवड़ी, चिरौंजी और मिश्री भी चढ़ाई जाती है। सावन में भोलेनाथ का व्रत रखकर उनको गुड़, चना और चिरौंजी के अलावा दूध चढ़ाने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
हनुमान जी का भोग
हनुमान जी को हलवा, पंच मेवा, गुड़ से बने लड्डू, डंठल वाला पान और केसर भात बहुत पसंद हैं। कुछ लोग इमरती भी चढ़ाते हैं।
मां लक्ष्मी का भोग
लक्ष्मी जी को सफेद और पीले रंग के मिठाई, केसर-भात बहुत पसंद हैं। कम से कम 11 शुक्रवार एक लाल फूल चढ़ाकर मां लक्ष्मी को यह भोग लगाने से घर में शांति और समृद्धि रहती है। धन की कमी नहीं रहती।
मां दुर्गा का भोग
मां दुर्गा को खीर, मालपुए, मीठा हलवा, पूरणपोळी, केले, नारियल, हलवा और मिठाई बहुत पसंद हैं.
देवी सरस्वती का भोग
इन्हें दूध, पंचामृत, दही, मक्खन, सफेद तिल के लड्डू और चावल का लावा पसंद है।
गणपति का भोग
गणेश जी को मोदक या लड्डू अच्छे लगते हैं। बप्पा को मोतीचूर के लड्डू भी पसंद हैं। शुद्ध घी से बने बेसन के लड्डू, बूंदी के लड्डू, नारियल, तिल और सूजी के लड्डू भी गणपति को चढ़ाए जाते हैं।
श्री राम का भोग
भगवान राम को केसर भात, खीर, धनिया का भोग, कलाकंद, बर्फी, गुलाब जामुन का भोग भी प्रिय है।
श्री कृष्ण का भोग
भगवान कृष्ण को माखन और मिश्री बहुत पसंद है। खीर, हलवा, पूरनपोळी, लड्डू और सैवइयां भी उनको पसंद हैं।
मां काली और भैरवनाथ का भोग: काली और भैरवनाथ को लगभग एक जैसा ही भोग लगता है। हलवा, पूरी और मदिरा उनके प्रिय भोग हैं। इमरती, जलेबी और पांच तरह की मिठाइयां भी अर्पित की जाती हैं।
श्रीगंगानगर। श्रीगंगानगर में इन दिनों एक नया चलन चल पड़ा है। यह चलन है मंदिरों में देवी-देवताओं को गोल-गप्पे, समोसा, कचौरी, डोसा, इडली आदि का भोग लगाने का। कई मंदिरों में यह सब प्रचार का माध्यम बन गया है।
इन मंदिरों मेंं जहां समोसा, कचौरी, डोसा आदि का भगवान को भोग लगाया जाने लगा है, वहीं इसी को श्रद्धालुओं मेंं प्रसाद के रूप में वितरित भी किया जा रहा है।
पूजा-पाठ या आरती के बाद तुलसीकृत जलामृत व पंचामृत के बाद बांटे जाने वाले पदार्थ को 'प्रसादÓ कहते हैं। पूजा के समय जब कोई खाद्य सामग्री देवी-देवताओं के समक्ष प्रस्तुत की जाती है तो वह सामग्री प्रसाद के रूप में वितरण होती है। इसे 'नैवेद्यÓ भी कहते हैं।
पवनपुत्र हनुमान जी को मिष्ठान का भोग लगाने का प्रचलन है लेकिन शहर के कुछ मंदिरों मेंं डोसे का भोग लगाने की खबरें हैं। इसी प्रकार गणेश जी को भले ही मोदक पसंद हों मगर यहां उन्हें कचौरी का भोग लगाया जा रहा है। अन्य देवी-देवताओं के मंदिरों मेंं भी इसी प्रकार से हो रहा है।
पंडित इसे सही नहीं मानते। पंडित सत्यपाल पाराशर का कहना है कि देवी-देवताओं को पारंपरिक रूप से जिन चीजों का भोग लगाने का प्रावधान है, उन्हीं चीजों का भोग लगाया जाना चाहिए। श्रद्धा में दिखावे और प्रचार के लिए कोई जगह नहीं है।
पंडित पाराशर का कहना है कि प्रत्येक देवी और देवताओं को भोग लगाने के लिए पारंपरिक रूप से विभिन्न चीजों का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह एक मर्यादा है, जिसे किसी भी सूरत में भंग नहीं किया जाना चाहिए।
किस देवी-देवता को
प्रिय है कौनसा भोग?
भगवान विष्णु का भोग: श्री हरि को सूजी का हलवा और पंचामृत बहुत प्रिय है। सूजी का हलवा घी में बनाएं और इसमें सूखे मेवे मिलाएं और भगवान को भोग लगाएं। हर रविवार और गुरुवार को विष्णु-लक्ष्मी मंदिर में जाकर उनको भोग लगाने से दोनों प्रसन्न होते हैं और घर में किसी भी प्रकार से धन और संपन्नता की कमी नहीं होती है। इनके भोग में तुलसी जरूर रखें।
शिव भोग
शिव को भांग और पंचामृत पसंद है। शिवलिंग को दूध, दही, शहद, शक्कर, घी, जल से स्नान कराकर भांग-धतूरा, इत्र, चंदन, फूल, रोली, वस्त्र अर्पित किए जाते हैं। शिवजी को रेवड़ी, चिरौंजी और मिश्री भी चढ़ाई जाती है। सावन में भोलेनाथ का व्रत रखकर उनको गुड़, चना और चिरौंजी के अलावा दूध चढ़ाने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
हनुमान जी का भोग
हनुमान जी को हलवा, पंच मेवा, गुड़ से बने लड्डू, डंठल वाला पान और केसर भात बहुत पसंद हैं। कुछ लोग इमरती भी चढ़ाते हैं।
मां लक्ष्मी का भोग
लक्ष्मी जी को सफेद और पीले रंग के मिठाई, केसर-भात बहुत पसंद हैं। कम से कम 11 शुक्रवार एक लाल फूल चढ़ाकर मां लक्ष्मी को यह भोग लगाने से घर में शांति और समृद्धि रहती है। धन की कमी नहीं रहती।
मां दुर्गा का भोग
मां दुर्गा को खीर, मालपुए, मीठा हलवा, पूरणपोळी, केले, नारियल, हलवा और मिठाई बहुत पसंद हैं.
देवी सरस्वती का भोग
इन्हें दूध, पंचामृत, दही, मक्खन, सफेद तिल के लड्डू और चावल का लावा पसंद है।
गणपति का भोग
गणेश जी को मोदक या लड्डू अच्छे लगते हैं। बप्पा को मोतीचूर के लड्डू भी पसंद हैं। शुद्ध घी से बने बेसन के लड्डू, बूंदी के लड्डू, नारियल, तिल और सूजी के लड्डू भी गणपति को चढ़ाए जाते हैं।
श्री राम का भोग
भगवान राम को केसर भात, खीर, धनिया का भोग, कलाकंद, बर्फी, गुलाब जामुन का भोग भी प्रिय है।
श्री कृष्ण का भोग
भगवान कृष्ण को माखन और मिश्री बहुत पसंद है। खीर, हलवा, पूरनपोळी, लड्डू और सैवइयां भी उनको पसंद हैं।
मां काली और भैरवनाथ का भोग: काली और भैरवनाथ को लगभग एक जैसा ही भोग लगता है। हलवा, पूरी और मदिरा उनके प्रिय भोग हैं। इमरती, जलेबी और पांच तरह की मिठाइयां भी अर्पित की जाती हैं।
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