रायांवाली पंचायत में निर्माण घोटाला
- जांच में हुआ खुलासा, एसडीएम ने दोषियों के विरुद्ध एफआईआर के दिए निर्देश
- मस्ट्रोल में कांट-छांट, अनुपस्थित मजदूरों का भुगतान उठाया
श्रीगंगानगर। सूरतगढ़ पंचायत समिति की ग्राम पंचायत रायांवाली में पंचायत भवन के निर्माण व अन्य सड़क निर्माण में भारी गड़बड़ी सामने आई है। शिकायत के आधार पर इस मामले की जब प्रशासन ने जांच करवाई तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। जांच में दोषी पाए जाने पर सरपंच, ग्राम विकास अधिकारी के विरुद्ध विधिसम्मत कार्यवाही व एफआईआर करवाने के निर्देश एसडीएम ने दिए हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पंचायत प्रसार अधिकारी राजेन्द्र प्रसाद को इसकी जांच सौंपी गई। जांच में पाया गया कि रायांवाली के पंचायत भवन का निर्माण पंचायत समिति सूरतगढ़ द्वारा 23 अक्टूबर 2017 को स्वीकृत किया गया। जिसकी लागत 30 लाख रु. थी।
ग्राम पंचायत द्वारा 11 फरवरी 2018 को यह कार्य प्रारंभ करवाया गया। जांच में पाया गया कि निर्माण कार्य में 10 श्रमिक दिखाए गए जबकि अंगूठा हस्ताक्षर 9 श्रमिकों के थे। एक श्रमिक पूनक के हस्ताक्षर करवाए हुए हैं, जिसे काट दिया गया। इसके अलावा श्रमिक हुकुमदास के हस्ताक्षर करवाकर काटे गए। एक अप्रेल 2018 से 10 अप्रेल 2018 के बीच हुए कार्य में 6 श्रमिकों की उपस्थिति दिखाई दी, जबकि पांच के ही हस्ताक्षर थे। मिस्त्री सहित सभी
अनुपस्थित पाए गए। इसी तरह कई जगह मजदूरों की संख्या अधिक दिखाई गई, जबकि हकीकत में वहां उतने मजदूर काम नहीं कर रहे थे। मस्ट्रोल में अत्यधिक कांट-छांट नहीं होने के कारण कुछ भी स्पष्ट नहीं था। अंगूठा पांच श्रमिकों का था, जबकि भुगतान 6 का किया गया। सभी 10 श्रमिकों की हाजरी लगाकर बाद में कांट-छांट की गई।
इसी तरह 15 से 29 दिसम्बर तक 6 मजदूरों के अंगूठा हस्ताक्षर में गड़बड़ी की गई। इसके अलावा 6 श्रमिकों पर 5 मिस्त्रियों का नियोजन दिखाया गया।
श्रमिक का नाम हुकुमदास हस्ताक्षर हुकमाराम के
निर्माण कार्यों के दौरान 14 पखवाड़ों में लगे श्रमिकों की मजदूरी की जांच की गई, जिसमें एक श्रमिक का नाम हुकुमदास दर्ज था। जिसका जॉब कार्ड संख्या 1195 है, जबकि हस्ताक्षर हुकमाराम के किए गए हैं और भुगतान हुकुमदास के खाते में जमा है। मस्ट्रोलों की जांच में पाया गया कि श्रमिकों की उपस्थिति लगाने में लापरवाही बरती गई है। पंचायत द्वारा अनुपस्थित श्रमिकों को भी भुगतान कर दिया गया। जांच में पाया गया कि श्रमिकों के बयान तथा परिवाद में दर्ज शिकायत में समानता पाई गई। जांच अधिकारी ने पंचायत भवन रायांवाली तथा कच्ची सड़क निर्माण में रिकॉर्ड, सम्बंधितों के बयान और शिकायत को सत्य माना है। साथ ही, इस प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए प्रकरण की जांच तकनीकी उच्चाधिकारियों व भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो स्तर पर करवाने की अनुशंसा की है। एसडीएम मुकेश बारहट ने इस मामले में जिला परिषद सीईओ को लिखा है कि वे सरपंच और ग्राम विकास अधिकारी के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही करते हुए एफआईआर भी दर्ज करवाएं।
- मस्ट्रोल में कांट-छांट, अनुपस्थित मजदूरों का भुगतान उठाया
श्रीगंगानगर। सूरतगढ़ पंचायत समिति की ग्राम पंचायत रायांवाली में पंचायत भवन के निर्माण व अन्य सड़क निर्माण में भारी गड़बड़ी सामने आई है। शिकायत के आधार पर इस मामले की जब प्रशासन ने जांच करवाई तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। जांच में दोषी पाए जाने पर सरपंच, ग्राम विकास अधिकारी के विरुद्ध विधिसम्मत कार्यवाही व एफआईआर करवाने के निर्देश एसडीएम ने दिए हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पंचायत प्रसार अधिकारी राजेन्द्र प्रसाद को इसकी जांच सौंपी गई। जांच में पाया गया कि रायांवाली के पंचायत भवन का निर्माण पंचायत समिति सूरतगढ़ द्वारा 23 अक्टूबर 2017 को स्वीकृत किया गया। जिसकी लागत 30 लाख रु. थी।
ग्राम पंचायत द्वारा 11 फरवरी 2018 को यह कार्य प्रारंभ करवाया गया। जांच में पाया गया कि निर्माण कार्य में 10 श्रमिक दिखाए गए जबकि अंगूठा हस्ताक्षर 9 श्रमिकों के थे। एक श्रमिक पूनक के हस्ताक्षर करवाए हुए हैं, जिसे काट दिया गया। इसके अलावा श्रमिक हुकुमदास के हस्ताक्षर करवाकर काटे गए। एक अप्रेल 2018 से 10 अप्रेल 2018 के बीच हुए कार्य में 6 श्रमिकों की उपस्थिति दिखाई दी, जबकि पांच के ही हस्ताक्षर थे। मिस्त्री सहित सभी
अनुपस्थित पाए गए। इसी तरह कई जगह मजदूरों की संख्या अधिक दिखाई गई, जबकि हकीकत में वहां उतने मजदूर काम नहीं कर रहे थे। मस्ट्रोल में अत्यधिक कांट-छांट नहीं होने के कारण कुछ भी स्पष्ट नहीं था। अंगूठा पांच श्रमिकों का था, जबकि भुगतान 6 का किया गया। सभी 10 श्रमिकों की हाजरी लगाकर बाद में कांट-छांट की गई।
इसी तरह 15 से 29 दिसम्बर तक 6 मजदूरों के अंगूठा हस्ताक्षर में गड़बड़ी की गई। इसके अलावा 6 श्रमिकों पर 5 मिस्त्रियों का नियोजन दिखाया गया।
श्रमिक का नाम हुकुमदास हस्ताक्षर हुकमाराम के
निर्माण कार्यों के दौरान 14 पखवाड़ों में लगे श्रमिकों की मजदूरी की जांच की गई, जिसमें एक श्रमिक का नाम हुकुमदास दर्ज था। जिसका जॉब कार्ड संख्या 1195 है, जबकि हस्ताक्षर हुकमाराम के किए गए हैं और भुगतान हुकुमदास के खाते में जमा है। मस्ट्रोलों की जांच में पाया गया कि श्रमिकों की उपस्थिति लगाने में लापरवाही बरती गई है। पंचायत द्वारा अनुपस्थित श्रमिकों को भी भुगतान कर दिया गया। जांच में पाया गया कि श्रमिकों के बयान तथा परिवाद में दर्ज शिकायत में समानता पाई गई। जांच अधिकारी ने पंचायत भवन रायांवाली तथा कच्ची सड़क निर्माण में रिकॉर्ड, सम्बंधितों के बयान और शिकायत को सत्य माना है। साथ ही, इस प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए प्रकरण की जांच तकनीकी उच्चाधिकारियों व भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो स्तर पर करवाने की अनुशंसा की है। एसडीएम मुकेश बारहट ने इस मामले में जिला परिषद सीईओ को लिखा है कि वे सरपंच और ग्राम विकास अधिकारी के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही करते हुए एफआईआर भी दर्ज करवाएं।
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