अब सौर ऊर्जा प्लांट से पैदा की गई अतिरिक्त बिजली बेच सकेंगे किसान
- विद्युत निगम ने शुरू की कुसम किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाअभियान योजना
श्रीगंगानगर। अब किसान भी शहरों की तर्ज पर खेत में सोलर प्लांट और सौर ऊर्जा उपकरण लगाने के साथ अतिरिक्त बिजली उत्पादन करके उसे बेच सकेंगे। राज्य सरकार ने किसानों के लिए कुसम किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाअभियान योजना शुरू करके यह व्यवस्था की है।
इस योजना में इसमें 7.5 एचपी लोड तक के किसान ही शामिल हो पाएंगे। योजना की खास बात यह है कि कुल लागत में से 30 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार व 30 प्रतिशत राशि राज्य सरकार देगी। साथ ही कृषि उपभोक्ताओं को लोन के रूप में 30 प्रतिशत की रकम नाबार्ड फाइनेंस करेगा। किसानों को केवल दस प्रतिशत राशि ही देनी होगी। अतिरिक्त बिजली उत्पादन होने पर किसान बची हुई बिजली को बेचकर आर्थिक लाभ भी कमा सकेंगे।
अभी तक 3.5 किलोवाट प्लांट की रेट दस प्रतिशत सब्सिडी के बाद भी 2.50 लाख रुपए के करीब पड़ती थी। ऐसे में अगर 60 प्रतिशत सब्सिडी और 30 प्रतिशत नाबार्ड भुगतान करता है तो इतनी क्षमता का प्लांट लगाने के लिए किसान को 40 हजार रुपए तक का प्राथमिक खर्च आएगा।
यह है आवेदन की प्रक्रिया
आवेदन के लिए किसानों को नजदीकी डिस्कॉम कार्यालय में एईएन से संपर्क करना होगा। आवेदन के समय आधार कार्ड और बैंक खाता होना जरूरी है। आवेदन के समय सरकार किसान के बैंक खाते में सब्सिडी की रकम देगी। किसान, डिस्कॉम और बैंक के साथ तृतीय पक्ष एग्रीमेंट होगा। सोलर प्लांट की क्षमता एग्रीकल्चर पंप की क्षमता से दो गुना तक होगी। लोन की किस्त मूल और ब्याज सोलर प्लांट में अतिरिक्त उत्पादित बिजली को बेचकर जुटाई रकम से चुकाई जाएगी। लोन की अवधि अधिकतम सात साल रहेगी। बिजली बेचने से हुई कमाई को दो हिस्सों में बांटा जाएगा। पहला उपभोक्ता का और दूसरा लोन किस्त में जमा होगा।
श्रीगंगानगर। अब किसान भी शहरों की तर्ज पर खेत में सोलर प्लांट और सौर ऊर्जा उपकरण लगाने के साथ अतिरिक्त बिजली उत्पादन करके उसे बेच सकेंगे। राज्य सरकार ने किसानों के लिए कुसम किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाअभियान योजना शुरू करके यह व्यवस्था की है।
इस योजना में इसमें 7.5 एचपी लोड तक के किसान ही शामिल हो पाएंगे। योजना की खास बात यह है कि कुल लागत में से 30 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार व 30 प्रतिशत राशि राज्य सरकार देगी। साथ ही कृषि उपभोक्ताओं को लोन के रूप में 30 प्रतिशत की रकम नाबार्ड फाइनेंस करेगा। किसानों को केवल दस प्रतिशत राशि ही देनी होगी। अतिरिक्त बिजली उत्पादन होने पर किसान बची हुई बिजली को बेचकर आर्थिक लाभ भी कमा सकेंगे।
अभी तक 3.5 किलोवाट प्लांट की रेट दस प्रतिशत सब्सिडी के बाद भी 2.50 लाख रुपए के करीब पड़ती थी। ऐसे में अगर 60 प्रतिशत सब्सिडी और 30 प्रतिशत नाबार्ड भुगतान करता है तो इतनी क्षमता का प्लांट लगाने के लिए किसान को 40 हजार रुपए तक का प्राथमिक खर्च आएगा।
यह है आवेदन की प्रक्रिया
आवेदन के लिए किसानों को नजदीकी डिस्कॉम कार्यालय में एईएन से संपर्क करना होगा। आवेदन के समय आधार कार्ड और बैंक खाता होना जरूरी है। आवेदन के समय सरकार किसान के बैंक खाते में सब्सिडी की रकम देगी। किसान, डिस्कॉम और बैंक के साथ तृतीय पक्ष एग्रीमेंट होगा। सोलर प्लांट की क्षमता एग्रीकल्चर पंप की क्षमता से दो गुना तक होगी। लोन की किस्त मूल और ब्याज सोलर प्लांट में अतिरिक्त उत्पादित बिजली को बेचकर जुटाई रकम से चुकाई जाएगी। लोन की अवधि अधिकतम सात साल रहेगी। बिजली बेचने से हुई कमाई को दो हिस्सों में बांटा जाएगा। पहला उपभोक्ता का और दूसरा लोन किस्त में जमा होगा।
No comments