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किसानों के लिए केलियां बनी जी का जंजाल

- पानी होता है अवरूद्ध, नहर टूटने का भी खतरा
श्रीगंगानगर। बरसाती मौसम शुरू होने की वजह से सतलुज व्यास नदियों के माध्यम से श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ जिलों की सभी नहरों में भारी मात्रा में जलकुंभी (केलियां) आ रही हैं। इस वजह से जहां किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
वहीं इससे नहरों के टूटने का खतरा पैदा हो गया है। दोनों जिलों की नहरों में पिछले एक सप्ताह से केलियों के आने का सिलसिला बना हुआ है। किसानों द्वारा जेसीबी मशीनों की सहायता से केलियों को निकाला जा रहा है। जीजी माइनर, क्यू माइनर, एच माइनर, गंगनहर फीडर, एलएनपी आदि अनेक वितरिकाओं में केलियां आ रही हैं।
किसान जब केलियां निकलवाते हैं तो कई बार पानी भी कम करवाना पड़ता है। इससे किसानों की बारियों का नुकसान होता है। पूर्ववर्ती किसान के समय केलियों को निकालने या नष्ट करने के लिए मशीन मंगवाने का प्रावधान किया गया था, लेकिन यह योजना सिरे नहीं चढ़ी। पंजाब में स्थित बीकानेर कैनाल में भी काफी मात्रा में केलियां आ रही हैं।
यहां भी अनेक पुलों में यह केलियां फंस जाती हैं। पंजाब के बंगालीपुर में केली फंसने से कई बार पानी कम करवाया जाता है।


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