सफेदपोशों और पुलिस संरक्षण में पनपता भूमाफिया
- पीडि़तों को नहीं मिलता न्याय
श्रीगंगानगर। श्रीगंगानगर शहर एवं आसपास के क्षेत्रों में कई भूमाफिया सक्रिय हैं। पुलिस और राजनैतिक संरक्षण पर चल रहे इस गौरखधंधे में कई सफेदपोश और कुछ व्यापारी भी शामिल हैं।
सुनियोजित तरीके से चलने वाले अवैध धंधे को वैधता का अमलीजामा पहनाकर मजबूर लोगों को लूटा जा रहा है। पुलिस जांच में ये मामले खुल सकते हैं लेकिन जांच के नाम पर होती है सिर्फ खानापूर्ति।
ऐसे में मुकदमे दर्ज होने के बावजूद पुलिस पीडि़तों को न्याय देने की अपनी जिम्मेदारी से पीछे हट रही है। ऐसा ही एक मामला पिछले दिनों कोतवाली पुलिस थाना में दर्ज हुआ। इस मुकदमे की तफ्तीश के नाम पर जांच अधिकारी एक कदम भी आगे नहीं चले हैं। भले ही प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हो गया हो, लेकिन पुलिस का ढर्रा पहले जैसा ही है। आरोपियों के साथ दोस्ताना संबंध रखने वाले जांच अधिकारी उनके खिलाफ क्या खाक कार्रवाई करेंगे। मीडिया को जानकारी देने से जांच अधिकारी कतराते हैं।
जानकारी के अनुसार पिछले दिनों बृजलाल पुत्र लच्छीराम अग्रवाल निवासी 3 बी-14 मीरा मार्ग जवाहरनगर की रिपोर्ट पर कोतवाली पुलिस ने कई लोगों के खिलाफ भादंसं की धारा 420, 447, 120 बी, 147, 149 में मुकदमा दर्ज करवाया था।
पीडि़त बृजलाल अग्रवाल कोतवाली पुलिस थाना के चक्कर काटने को मजबूर है। मुकदमे के संबंध में जांच अधिकारी कोतवाल हनुमानाराम बिश्रोई हर बार एक ही जवाब देते हैं कि जांच चल रही है। जमीन से संबंधित रिकॉर्ड तहसील से जांच अधिकारी को उपलब्ध हो चुका है, इसके बावजूद पुलिस ने जांच के नाम पर एक कदम भी आगे नहीं सरकाया।
जानकारी के अनुसार पुलिस के ऐसे रवैये के चलते भू माफिया के हौंसले बुलंद हैं। विवादित सम्पत्ति को खरीदने में सक्षम यह लोग हर तरह से हथकंडे अपनाते हैं। पीडि़त की ओर से मुकदमा दर्ज करवाने के बाद उस पर झूठा मुकदमा दर्ज करवा कर पुलिस से गिरफ्तारी का भय दिखाते हैं। ऐसे में असली पीडि़त बैकपुट पर आ जाता है। पुलिस ऐसे लोगों के हाथों की कठपुतली बनी हुई है। इन लोगों को राजनीतिक संरक्षण भी प्राप्त है। शहर में अनेक ऐसे पीडि़त मिल जायेंगे, तो भू-माफियों की साजिश के शिकार हो चुके हैं।
श्रीगंगानगर। श्रीगंगानगर शहर एवं आसपास के क्षेत्रों में कई भूमाफिया सक्रिय हैं। पुलिस और राजनैतिक संरक्षण पर चल रहे इस गौरखधंधे में कई सफेदपोश और कुछ व्यापारी भी शामिल हैं।
सुनियोजित तरीके से चलने वाले अवैध धंधे को वैधता का अमलीजामा पहनाकर मजबूर लोगों को लूटा जा रहा है। पुलिस जांच में ये मामले खुल सकते हैं लेकिन जांच के नाम पर होती है सिर्फ खानापूर्ति।
ऐसे में मुकदमे दर्ज होने के बावजूद पुलिस पीडि़तों को न्याय देने की अपनी जिम्मेदारी से पीछे हट रही है। ऐसा ही एक मामला पिछले दिनों कोतवाली पुलिस थाना में दर्ज हुआ। इस मुकदमे की तफ्तीश के नाम पर जांच अधिकारी एक कदम भी आगे नहीं चले हैं। भले ही प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हो गया हो, लेकिन पुलिस का ढर्रा पहले जैसा ही है। आरोपियों के साथ दोस्ताना संबंध रखने वाले जांच अधिकारी उनके खिलाफ क्या खाक कार्रवाई करेंगे। मीडिया को जानकारी देने से जांच अधिकारी कतराते हैं।
जानकारी के अनुसार पिछले दिनों बृजलाल पुत्र लच्छीराम अग्रवाल निवासी 3 बी-14 मीरा मार्ग जवाहरनगर की रिपोर्ट पर कोतवाली पुलिस ने कई लोगों के खिलाफ भादंसं की धारा 420, 447, 120 बी, 147, 149 में मुकदमा दर्ज करवाया था।
पीडि़त बृजलाल अग्रवाल कोतवाली पुलिस थाना के चक्कर काटने को मजबूर है। मुकदमे के संबंध में जांच अधिकारी कोतवाल हनुमानाराम बिश्रोई हर बार एक ही जवाब देते हैं कि जांच चल रही है। जमीन से संबंधित रिकॉर्ड तहसील से जांच अधिकारी को उपलब्ध हो चुका है, इसके बावजूद पुलिस ने जांच के नाम पर एक कदम भी आगे नहीं सरकाया।
जानकारी के अनुसार पुलिस के ऐसे रवैये के चलते भू माफिया के हौंसले बुलंद हैं। विवादित सम्पत्ति को खरीदने में सक्षम यह लोग हर तरह से हथकंडे अपनाते हैं। पीडि़त की ओर से मुकदमा दर्ज करवाने के बाद उस पर झूठा मुकदमा दर्ज करवा कर पुलिस से गिरफ्तारी का भय दिखाते हैं। ऐसे में असली पीडि़त बैकपुट पर आ जाता है। पुलिस ऐसे लोगों के हाथों की कठपुतली बनी हुई है। इन लोगों को राजनीतिक संरक्षण भी प्राप्त है। शहर में अनेक ऐसे पीडि़त मिल जायेंगे, तो भू-माफियों की साजिश के शिकार हो चुके हैं।

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