अखबारी कागज पर 10 प्रतिशत ड्यूटी लगाना दुर्भाग्यपूर्ण
- इलना ने केन्द्र सरकार से की ड्यूटी समाप्त करने की मांग
नई दिल्ली। भाषाई समाचार पत्र संगठन (इलना) के राष्ट्रीय अध्यक्ष परेश नाथ ने केन्द्र सरकार द्वारा घोषित बजट में अखबारों और पत्रिकाओं द्वारा उपयोग किए जाने वाले कागज पर 10 प्रतिशत ड्यूटी लगाने को गलत बताते हुए इसे वापिस लेनेे की मांग की है।
उनका कहना है कि पहले से ही प्रिंट मीडिया डिजीटल मीडिया से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना कर रहा है और विज्ञापन कम हैं। ऐसे में इन पर 10 प्रतिशत ड्यूटी लगाना अव्यहारिक है। अखबार का कर्तव्य वास्तव में पाठक का अधिकार है कि वे सरकार से किसी भी हस्तक्षेप के बिना क्या पढऩा चाहते हैं। लेकिन यह कर्तव्य भारत के संविधान में निहित सूचना और ज्ञान की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गंभीर कर लगाएगा।
उन्होंने कहा कि समाचार पत्रों ने राजस्व में गिरावट और बढ़ते खर्चोे के कारण वित्तीय समस्याओं से निपटने के लिए अखबार प्रबंधन सरकार की ओर से कुछ सहायता की तलाश कर रहे थे, लेकिन राहत देने की बजाय 10 प्रतिशत ड्यूटी लगाना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि छोटे, मध्यम और नियमित आकार के समाचार पत्रों के प्रकाशक हैं, वे इससे बहुत प्रभावित होंगे। इसलिए इलना मांग करती है कि केन्द्र सरकार इस कदम पर पुनर्विचार करे और 10 प्रतिशत ड्यूटी को समाप्त करे।
नई दिल्ली। भाषाई समाचार पत्र संगठन (इलना) के राष्ट्रीय अध्यक्ष परेश नाथ ने केन्द्र सरकार द्वारा घोषित बजट में अखबारों और पत्रिकाओं द्वारा उपयोग किए जाने वाले कागज पर 10 प्रतिशत ड्यूटी लगाने को गलत बताते हुए इसे वापिस लेनेे की मांग की है।
उनका कहना है कि पहले से ही प्रिंट मीडिया डिजीटल मीडिया से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना कर रहा है और विज्ञापन कम हैं। ऐसे में इन पर 10 प्रतिशत ड्यूटी लगाना अव्यहारिक है। अखबार का कर्तव्य वास्तव में पाठक का अधिकार है कि वे सरकार से किसी भी हस्तक्षेप के बिना क्या पढऩा चाहते हैं। लेकिन यह कर्तव्य भारत के संविधान में निहित सूचना और ज्ञान की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गंभीर कर लगाएगा।
उन्होंने कहा कि समाचार पत्रों ने राजस्व में गिरावट और बढ़ते खर्चोे के कारण वित्तीय समस्याओं से निपटने के लिए अखबार प्रबंधन सरकार की ओर से कुछ सहायता की तलाश कर रहे थे, लेकिन राहत देने की बजाय 10 प्रतिशत ड्यूटी लगाना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि छोटे, मध्यम और नियमित आकार के समाचार पत्रों के प्रकाशक हैं, वे इससे बहुत प्रभावित होंगे। इसलिए इलना मांग करती है कि केन्द्र सरकार इस कदम पर पुनर्विचार करे और 10 प्रतिशत ड्यूटी को समाप्त करे।
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