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प्रकृति के नियमों के विरुद्ध स्वस्थ व सुखमय जीवन नहीं सम्भव

- वैदिक वास्तु पर सेमिनार में इंजीनियर पवन के गोयल हुए शामिल
श्रीगंगानगर। स्थापत्य वेद शिक्षण एवं शोध संस्थान के तत्वावधान में सूर्य होटल, इन्दौर में त्रिदिवसीय वैदिक वास्तु पर सेमिनार का आयोजन हुआ। जिसका आयोजन डॉ. शिवप्रसाद वर्मा, विभागाध्यक्ष स्थापत्य वेद महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय द्वारा किया गया। सेमिनार में गंगानगर के वास्तु इन्जीनियर पवन के गोयल, प्रभात शर्मा, कलपना शर्मा, मनजीत फ्लोरा, विवेक, ज्योति सोतिया, ऊषा सिंह, राजेन्द्र जैन, मनोजश्री, रामलाल पटेल, दीपक गुप्ता, अशोक अशवनी ने भाग लिया। इस सेमिनार में वास्तु सथापत्य वेद भारतीय वास्तु शास्त्र के प्राचीन ग्रंथों समरांगण सुत्रधार, विश्वकर्मा प्रकाश, मानसर, विष्णु अग्रि पुराण, वेदों पर विस्तार से चर्चा हुई। वैदिक वास्तुशास्त्र के आधार पर 45 पद (देवता) नाभि विधि, ब्रह्मा विधि, मर्म के गुण दोष पर भी विस्तार से चर्चा की गई।
चर्चा के दौरान पवन के गोयल ने कहा कि कोई भी व्यक्ति, समाज, देश प्रकृति के नियमों के विरुद्ध जाकर स्वस्थ, सुखमय, वैभवशाली जीवन नहीं जी सकता। इनके अनुसार हमारे प्राचीन ग्रंथों में वास्तु दोष के उपाय का प्रकृति नियमों के अनुसार विस्तार से उनके अध्याय/श्लोक में वर्णन है। जो आज भी विज्ञान की कसौटी पर खरा उतरता है। श्री गोयल का कहना है कि दिशाएं मानव की दशा बदल देती है।
श्री गोयल 2 अप्रेल 1982 रामनवमी से इस
क्षेत्र में सेवारत हैं। इनको भारत सरकार राष्ट्रपति व राजस्थान सरकार व देश-विदेश में अनेक अवार्ड, पदक, मानक पीएचडी से सम्मानित किया गया है। अनेक वास्तु शास्त्र की पुस्तकों के लेखक भी हैं।


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