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नवसंवत्सर की पहली शनिश्चरी अमावस्या परसों, शनि मंदिरों मेंं उमड़ेंगे श्रद्धालु

- शुभ नक्षत्र और योगों के संयोग में होगी शनि देव की कृपा
श्रीगंगानगर। नवसंवत्सर की पहली शनिश्चरी अमावस्या चार मई को शनिवार को कई शुभ नक्षत्रों और योगों के संयोग में मनाई जाएगी। ग्रहों की स्थिति भी विशेष रहेगी। इस संयोग का विभिन्न राशियों के जातकों को लाभ होगा और साढ़े साती और ढैया वाले जातकों को इस बार शनि देव की विशेष कृपा हासिल होगी। भागवताचार्य पंडित सत्यपाल पाराशर ने बताया कि शनिश्चरी अमावस्या के मौके पर अश्विनी नक्षत्र रहेगा और आयुष्मान योग बनेगा। इस मौके पर सूर्य एवं शुक्र उच्च के होंगे जो लोगों के लिए शुभ फलदायी साबित होंगे।
उन्होंने बताया कि सूर्य, चन्द्रमा एवं बुध ग्रहों के एक साथ मेष राशि में होने से त्रिग्रही योग बन रहा है। सूर्य इस समय मेष राशि में भ्रमण कर रहा है जबकि चन्द्र एवं बुध भी तीन मई को मेष राशि में आ जाएंगे। इसके परिणाम स्वरूप त्रिग्रही योग बनेगा, जो शुभ फल देने वाला होगा।
पंडित पाराशर ने बताया कि शनिवार को पड़ रही शनिश्चरी अमावस्या इस बार पितृ दोष, शनि की ढैया, साढ़े साती, विष योग, काल सर्प योग और चन्द्रग्रहण दोष की शांति के लिए विशेष योग कारक रहेगी। जिन जातकों की कुंडली मेंं अशुभ योग घटित हो रहे हैं, उन्हें शनिश्चरी अमावस्या के दिन विधि-विधान से उपाय करने पर लाभ मिलेगा। उन्होंने बताया कि शनिश्चरी अमावस्या के दिन दान, पुण्य और स्नान का विशेष महत्व है। इस दिन जप, तप, अनुष्ठान का फल प्राप्त होगा और शनि का प्रकोप घटेगा एवं पितृ दोषों से मुक्ति पाई जा सकेगी।


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