मतदाता है मौन, देखो जीतेगा कौन
- यही सवाल : एक पखवाड़ा नहीं अब, गर्मी आएगी कब?
- प्रत्याशी और रणनीतिकार भी चुप्पी को लेकर चिन्तित
श्रीगंगानगर। लोकसभा चुनाव की सरगर्मी मंथर गति से बढ़ रही है। मतदान का दिन आने वाला है, ऐसे में काफी लोग एक-दूसरे से यह सवाल कर रहे हैं कि एक पखवाड़ा नहीं अब, चुनावी गर्मी आएगी कब? प्रत्याशी और उनके रणनीतिकार भी मतदाताओं की इस चुप्पी को लेकर चिन्तित हैं। मतदाताओं के मुखर नहीं होने तथा सब कुछ 'शांतÓ होने से कोई यह दावा करने की स्थिति में नहीं है कि श्रीगंगानगर संसदीय क्षेत्र में कौन आगे है और कौन-कौन पीछे। खुद को राजनीति के जानकार मानने वाले भी माहौल नहीं गरमाने से कोई पक्का दावा करने से शरमाने लगे हैं। मतदाता किसको निहाल करेंगे और किसे भरत मिलाप जैसा स्नेह देंगे, यह तो वोटों की गिनती के समय पता चलेगा लेकिन तब तक कयास के दौर जारी रहना तय है।
पहली बात तो गली-गली चुनाव की चर्चा वाली बात अभी तक तो नहीं है। जो कोई इस संसदीय क्षेत्र की बात करता है, उनके अपने-अपने तर्क। मुख्य मुकाबला कांग्र्रेस और भाजपा में माना जा रहा है। भाजपा प्रत्याशी निहालचंद को लगातार सातवीं बार टिकट मिलने को पार्टी के लिए नुकसान की बात कहने वाले अनेक लोग मिलते हैं। कई ऐसे भी हैं जो कांग्रेस के उम्मीदवार मास्टर भरतराम मेघवाल को फिर मौका देने की जरूरत बताते हैं।
देश की सबसे बड़ी पंचायत यानी लोकसभा के चुनाव के लिए प्रत्याशी की व्यक्तिगत छवि और स्थानीय मुद्दों को गौण मानने वाले कहते हैं कि राष्ट्रीय मुद्दे और राष्ट्रीय नेता की छवि को इस चुनाव में अधिक देखा जाता है। यह तो तय है कि श्रीगंगानगर संसदीय क्षेत्र में किसी प्रकार की लहर नहीं है, कोई मुद्दा विशेष नहीं है। ऐसी सूरत में यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता किस पर भरोसा कर अपना प्रतिनिधि बनाकर दिल्ली भेजती है।
- प्रत्याशी और रणनीतिकार भी चुप्पी को लेकर चिन्तित
श्रीगंगानगर। लोकसभा चुनाव की सरगर्मी मंथर गति से बढ़ रही है। मतदान का दिन आने वाला है, ऐसे में काफी लोग एक-दूसरे से यह सवाल कर रहे हैं कि एक पखवाड़ा नहीं अब, चुनावी गर्मी आएगी कब? प्रत्याशी और उनके रणनीतिकार भी मतदाताओं की इस चुप्पी को लेकर चिन्तित हैं। मतदाताओं के मुखर नहीं होने तथा सब कुछ 'शांतÓ होने से कोई यह दावा करने की स्थिति में नहीं है कि श्रीगंगानगर संसदीय क्षेत्र में कौन आगे है और कौन-कौन पीछे। खुद को राजनीति के जानकार मानने वाले भी माहौल नहीं गरमाने से कोई पक्का दावा करने से शरमाने लगे हैं। मतदाता किसको निहाल करेंगे और किसे भरत मिलाप जैसा स्नेह देंगे, यह तो वोटों की गिनती के समय पता चलेगा लेकिन तब तक कयास के दौर जारी रहना तय है।
पहली बात तो गली-गली चुनाव की चर्चा वाली बात अभी तक तो नहीं है। जो कोई इस संसदीय क्षेत्र की बात करता है, उनके अपने-अपने तर्क। मुख्य मुकाबला कांग्र्रेस और भाजपा में माना जा रहा है। भाजपा प्रत्याशी निहालचंद को लगातार सातवीं बार टिकट मिलने को पार्टी के लिए नुकसान की बात कहने वाले अनेक लोग मिलते हैं। कई ऐसे भी हैं जो कांग्रेस के उम्मीदवार मास्टर भरतराम मेघवाल को फिर मौका देने की जरूरत बताते हैं।
देश की सबसे बड़ी पंचायत यानी लोकसभा के चुनाव के लिए प्रत्याशी की व्यक्तिगत छवि और स्थानीय मुद्दों को गौण मानने वाले कहते हैं कि राष्ट्रीय मुद्दे और राष्ट्रीय नेता की छवि को इस चुनाव में अधिक देखा जाता है। यह तो तय है कि श्रीगंगानगर संसदीय क्षेत्र में किसी प्रकार की लहर नहीं है, कोई मुद्दा विशेष नहीं है। ऐसी सूरत में यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता किस पर भरोसा कर अपना प्रतिनिधि बनाकर दिल्ली भेजती है।
No comments