जहां भाजपा प्रत्याशी कमजोर, वहां जप रहे मोदी के नाम की माला
- गिनाने को कुछ नहीं, चुनाव प्रचार में प्रधानमंत्री के नाम का सहारा
श्रीगंगानगर। राजस्थान में श्रीगंगानगर समेत जिन-जिन लोकसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी अपने प्रत्याशियों को कमजोर महसूस कर रही है, वहां ऐसे प्रत्याशियों को जिताने के लिए पीएम नरेन्द्र मोदी के नाम की माला जपी जा रही है। जिस प्रकार श्रीगंगानगर लोकसभा क्षेत्र में निहालचंद के कामों को गिनाने से परहेज किया जा रहा है, अन्य कमजोर मानी जा रही सीटों पर भी ऐसा ही हो रहा है। लोग मजाक में सवाल कर रहे हैं कि अगर मोदी के नाम को ही भुनाना था तो भारतीय जनता पार्टी चुनाव में कम से कम उम्मीदवार तो ढंग के उतारती।
श्रीगंगानगर समेत जिन सीटों पर भाजपाई प्रत्याशियों की हालत अनुकूल नहीं मानी जा रही है, वहां सिर्फ और सिर्फ मोदी के नाम का ही सहारा लिया जा रहा है। चुनाव प्रचार में जुटे प्रत्याशी सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक, राष्ट्रवाद जैसे मुद्दे मतदाताओं के बीच उठा कर उनका लाभ लेने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं।
प्रत्याशी अपनी ओर से कुछ भी दावे-वादे करने से परहेज कर रहे हैं। सब कुछ प्रधानमंत्री मोदी के सहारे छोड़ दिया गया है। मोदी का फिर आना जरूरी है, मोदी फिर सत्ता में आएंगे तो देश शक्तिशाली बनेगा, मोदी है तो मुमकिन है, मोदी ही राष्ट्र की सीमाओं की रक्षा कर सकते हैं आदि जैसे जुमले ही चुनावी सभाओं मेंं गूंज रहे हैं।
भाजपाई मतदाताओं तक अपना संदेश पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया का बखूबी सहारा ले रहे हैं। सोशल मीडिया पर परंपरागत शैली में चुनाव प्रचार किया जा रहा है। टीवी चैनलों पर तो मोदी और भाजपा ही छाए दिखते हैं।
टीवी खोलते ही दिखता है भाजपा समर्थक चैनल
भाजपा का चुनावी मैनेजमेंट कितना व्यापक है, इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल नहीं है। टीवी को जैसे ही ऑन किया जाता है, सबसे पहले भाजपा का समर्थक समाचार चैनल ही दिखाई देता है। आप चाहे किसी भी चैनल को देखते हुए टीवी बंद कर दें लेकिन जब फिर से टीवी ऑन करेंगे तो भाजपा समर्थक न्यूज चैनल ही स्क्रीन पर सबसे पहले नजर आएगा।
श्रीगंगानगर। राजस्थान में श्रीगंगानगर समेत जिन-जिन लोकसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी अपने प्रत्याशियों को कमजोर महसूस कर रही है, वहां ऐसे प्रत्याशियों को जिताने के लिए पीएम नरेन्द्र मोदी के नाम की माला जपी जा रही है। जिस प्रकार श्रीगंगानगर लोकसभा क्षेत्र में निहालचंद के कामों को गिनाने से परहेज किया जा रहा है, अन्य कमजोर मानी जा रही सीटों पर भी ऐसा ही हो रहा है। लोग मजाक में सवाल कर रहे हैं कि अगर मोदी के नाम को ही भुनाना था तो भारतीय जनता पार्टी चुनाव में कम से कम उम्मीदवार तो ढंग के उतारती।
श्रीगंगानगर समेत जिन सीटों पर भाजपाई प्रत्याशियों की हालत अनुकूल नहीं मानी जा रही है, वहां सिर्फ और सिर्फ मोदी के नाम का ही सहारा लिया जा रहा है। चुनाव प्रचार में जुटे प्रत्याशी सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक, राष्ट्रवाद जैसे मुद्दे मतदाताओं के बीच उठा कर उनका लाभ लेने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं।
प्रत्याशी अपनी ओर से कुछ भी दावे-वादे करने से परहेज कर रहे हैं। सब कुछ प्रधानमंत्री मोदी के सहारे छोड़ दिया गया है। मोदी का फिर आना जरूरी है, मोदी फिर सत्ता में आएंगे तो देश शक्तिशाली बनेगा, मोदी है तो मुमकिन है, मोदी ही राष्ट्र की सीमाओं की रक्षा कर सकते हैं आदि जैसे जुमले ही चुनावी सभाओं मेंं गूंज रहे हैं।
भाजपाई मतदाताओं तक अपना संदेश पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया का बखूबी सहारा ले रहे हैं। सोशल मीडिया पर परंपरागत शैली में चुनाव प्रचार किया जा रहा है। टीवी चैनलों पर तो मोदी और भाजपा ही छाए दिखते हैं।
टीवी खोलते ही दिखता है भाजपा समर्थक चैनल
भाजपा का चुनावी मैनेजमेंट कितना व्यापक है, इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल नहीं है। टीवी को जैसे ही ऑन किया जाता है, सबसे पहले भाजपा का समर्थक समाचार चैनल ही दिखाई देता है। आप चाहे किसी भी चैनल को देखते हुए टीवी बंद कर दें लेकिन जब फिर से टीवी ऑन करेंगे तो भाजपा समर्थक न्यूज चैनल ही स्क्रीन पर सबसे पहले नजर आएगा।
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