सात मई को आखा तीज के अबूझ सावे पर होंगी सर्वाधिक शादियां
- इस बार अक्षय तृतीया पर चार बड़े ग्रहों का शुभ संयोग
श्रीगंगानगर। इस बार अक्षय तृतीया यानी आखा तीज सात मई को मनाई जाएगी। आखा तीज के अबूझ सावे पर सर्वाधिक शादियां होंगी। क्षेत्र में इस दिन सैकड़ों शादी-विवाह होंगे, जिनके लिए तैयारियां आरंभ कर दी गई हैं। इस बार अक्षय तृतीया पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं, जिससे इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ जाएगा।
भागवताचार्य पंडित सत्यपाल पाराशर ने बताया कि अक्षय तृतीया को तमाम शुभ कार्यों के लिए अबूझ मुहूर्त माना जाता है। इस बार अक्षय तृतीया सात मई को रोहिणी नक्षत्र और वृष के चंद्रमा में मनाई जाएगी। इस बार अक्षय तृतीया पर कई सालों के बाद चार बड़े ग्रहों का शुभ और बहुत दुर्लभ संयोग बन रहा है।
पंडित पाराशर ने बताया कि इस बार अक्षय तृतीया पर चार बड़े ग्रह सूर्य, शुक्र, चंद्र और राहू अपने से उच्च राशि में होंगे। इससे अत्यंत शुभ वातावरण निर्मित होगा। अक्षय तृतीया पर राज योग भी बन रहा है।
उन्होंने बताया कि अक्षय तृतीया पर दान, पुण्य, हवन, यज्ञ, स्नान आदि का अत्यंत महत्व है। यह इतना शुभ दिन माना गया है कि इस दिन किसी भी प्रकार का कार्य करने के लिए मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं रहती है। अक्षय तृतीय अपने आपमें स्वयंसिद्ध मुहूर्त है। इस दिन किए जाने वाले शुभ कार्यों का भगवान अक्षय फल देते हैं।
जानिए, क्या है अक्षय तृतीया का महत्व
मान्यता है कि सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ अक्षय तृतीया के दिन हुआ था। भगवान विष्णु नर-नारायण और परशुराम का अवतरण भी इसी तिथि को हुआ। इस दिन सभी श्रद्धालु विशेष पूजा करते हैं। अक्षय तृतीया के दिन भगवान गणेशजी एवं माता लक्ष्मी की पूजन का भी विधान है। भगवान परशुराम विष्णुजी के ही छठे अवतार थे। इसलिए लोग इस दिन भगवान विष्णु की भी पूजा करते हैं।
श्रीगंगानगर। इस बार अक्षय तृतीया यानी आखा तीज सात मई को मनाई जाएगी। आखा तीज के अबूझ सावे पर सर्वाधिक शादियां होंगी। क्षेत्र में इस दिन सैकड़ों शादी-विवाह होंगे, जिनके लिए तैयारियां आरंभ कर दी गई हैं। इस बार अक्षय तृतीया पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं, जिससे इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ जाएगा।
भागवताचार्य पंडित सत्यपाल पाराशर ने बताया कि अक्षय तृतीया को तमाम शुभ कार्यों के लिए अबूझ मुहूर्त माना जाता है। इस बार अक्षय तृतीया सात मई को रोहिणी नक्षत्र और वृष के चंद्रमा में मनाई जाएगी। इस बार अक्षय तृतीया पर कई सालों के बाद चार बड़े ग्रहों का शुभ और बहुत दुर्लभ संयोग बन रहा है।
पंडित पाराशर ने बताया कि इस बार अक्षय तृतीया पर चार बड़े ग्रह सूर्य, शुक्र, चंद्र और राहू अपने से उच्च राशि में होंगे। इससे अत्यंत शुभ वातावरण निर्मित होगा। अक्षय तृतीया पर राज योग भी बन रहा है।
उन्होंने बताया कि अक्षय तृतीया पर दान, पुण्य, हवन, यज्ञ, स्नान आदि का अत्यंत महत्व है। यह इतना शुभ दिन माना गया है कि इस दिन किसी भी प्रकार का कार्य करने के लिए मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं रहती है। अक्षय तृतीय अपने आपमें स्वयंसिद्ध मुहूर्त है। इस दिन किए जाने वाले शुभ कार्यों का भगवान अक्षय फल देते हैं।
जानिए, क्या है अक्षय तृतीया का महत्व
मान्यता है कि सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ अक्षय तृतीया के दिन हुआ था। भगवान विष्णु नर-नारायण और परशुराम का अवतरण भी इसी तिथि को हुआ। इस दिन सभी श्रद्धालु विशेष पूजा करते हैं। अक्षय तृतीया के दिन भगवान गणेशजी एवं माता लक्ष्मी की पूजन का भी विधान है। भगवान परशुराम विष्णुजी के ही छठे अवतार थे। इसलिए लोग इस दिन भगवान विष्णु की भी पूजा करते हैं।
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