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क्यों नहीं वाहनों का भी हो 'परिवार नियोजनÓ

नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण से चिंतित सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्यों नहीं वाहनों का भी 'परिवार नियोजनÓ किया जाना चाहिए। साथ ही कोर्ट ने पार्किंग को लेकर आए दिन होने वाले लड़ाई-झगड़े पर भी चिंता जताई। जस्टिस अरुण मिश्रा और दीपक गुप्ता की पीठ ने दिल्ली में वाहनों की संख्या में हो रही बेतहाशा वृद्धि के चलते वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी व सड़कों पर रोजाना लगने वाले भीषण जाम की स्थिति पर भी चिंता जताई।
पीठ ने शुक्रवार को कहा कि आखिर एक परिवार को चार-पांच वाहन रखने की इजाजत क्यों मिलनी चाहिए। क्यों नहीं वाहनों का भी परिवार नियोजन किया जाना चाहिए। क्यों नहीं वाहनों के मामले में भी 'हम दो, हमारे दोÓ का सिद्धांत अपनाया जाना चाहिए।
दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण के मामले की सुनवाई कर रही पीठ ने कहा कि यहां वाहनों की संख्या इस कदर तक बढ़ चुकी है कि लोगों के पास इन्हें खड़ा करने तक की जगह नहीं है। आए दिन पार्किंग को लेकर मारपीट के साथ ही हत्या की घटनाएं भी सामने आती रहती हैं। पीठ ने दिल्ली में तिपहिया वाहनों की अधिकतम संख्या में बदलाव करने की अपील वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान प्रदूषण पर टिप्पणी की।
याचिका में तर्क दिया गया है कि इन वाहनों से कम प्रदूषण होगा। दरअसल, दिल्ली में तिपहिया वाहनों की अधिकतम संख्या एक लाख हो सकती है।
दिल्ली की आबादी करीब दो करोड़ है। वहीं, राजधानी में वाहनों की संख्या करीब 1.13 करोड़ हैं। इनमें से करीब 34 फीसदी कार हैं।
बढ़ते वायु प्रदूषण के मामले की सुनवाई के दौरान एक बार जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा था, दिल्ली में प्रदूषण इतना अधिक है कि वह सेवानिवृत्ति के बाद किसी अन्य शहर में बसना पसंद करेंगे।


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