लिया जाएगा साइबर योद्धाओं का सहारा
- लोकसभा चुनाव की बढऩे वाली है सरगर्मी
- प्रमुख प्रत्याशियों के लिए वार रूम करेंगे काम
श्रीगंगानगर। देश की सबसे बड़ी पंचायत यानी लोकसभा में पहुंचने के लिए प्रमुख प्रत्याशी कोई कसर बाकी नहीं छोड़ेंगे। पांच साल पहले के और आज के चुनाव में नई तकनीक के चलते बड़ा भारी अन्तर आ गया। इसी के दृष्टिगत वे साइबर योद्धाओं का सहारा लेंगे। सोशियल मीडिया पर उनका अभियान चलेगा। इतना ही नहीं उनके लिए दिल्ली, जयपुर की तर्ज पर वार रूम भी काम करेंगे।
वार रूम के लिए एक राजनीतिक दल ने तो सोशियल मीडिया की समझ रखने वाले कई कम्प्यूटर ऑपरेटरों से सम्पर्क साध लिया है। उसकी कोशिश है कि अनेक कम्प्यूटर से सुसज्जित वार रूम अभी दो शिफ्ट और चुनाव की गहमागहमी चरम पर पहुंचने से कुछ पहले चार शिफ्ट में काम करे। प्रत्याशी और उनकी छवि निखारने वाली अन्य फोटो की लाइब्रेरी तैयार की जा रही है। चुनाव राष्ट्रीय स्तर का होने के कारण राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों को भी साथ में उभारने की कोशिश की जाएगी।
भाजपा ने अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। उनके लिए सोशियल मीडिया पर वोट मांगने का काम शुरू भी हो गया है। कांग्रेस की सूची आने वाली है, कई अन्य प्रत्याशी भी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। चुनाव के प्रति गम्भीरता रखने वालों और उनके रणनीतिकारों को सोशियल मीडिया का महत्व पता है। इसे देखते हुए वे अपने प्रचार-प्रसार को अधिकाधिक प्रभावशाली बनाने की कोशिश करेंगे।
पहली बार प्रकोष्ठ और इतना महत्व
सोशियल मीडिया का दायरा और 'मारकÓ क्षमता बढऩे के बाद पहली बार कई प्रमुख राजनीतिक दलों ने इससे जुड़े प्रकोष्ठ अपने संगठन में बनाए हैं। न केवल इनमें पदाधिकारियों की 'फौजÓ तैयार की गई, उन्हें कार्यक्रमों आदि में पूरा महत्व दिया जा रहा है। दो मुख्य राजनीतिक दल तो अपने इन प्रकोष्ठों के प्रमुख पदाधिकारियों की जयपुर के बाद दिल्ली तक में 'क्लासÓ लगा चुके हैं। इनमें विशेषज्ञ के रूप में शामिल हुए दल के कई राष्ट्रीय पदाधिकारी यह 'ज्ञानÓ दे चुके हैं कि कैसे अपने दल की शान बढ़ानी है और कैसे प्रतिद्वंद्वी पर कटाक्ष करते हुए उसकी फजीहत करनी है।
- प्रमुख प्रत्याशियों के लिए वार रूम करेंगे काम
श्रीगंगानगर। देश की सबसे बड़ी पंचायत यानी लोकसभा में पहुंचने के लिए प्रमुख प्रत्याशी कोई कसर बाकी नहीं छोड़ेंगे। पांच साल पहले के और आज के चुनाव में नई तकनीक के चलते बड़ा भारी अन्तर आ गया। इसी के दृष्टिगत वे साइबर योद्धाओं का सहारा लेंगे। सोशियल मीडिया पर उनका अभियान चलेगा। इतना ही नहीं उनके लिए दिल्ली, जयपुर की तर्ज पर वार रूम भी काम करेंगे।
वार रूम के लिए एक राजनीतिक दल ने तो सोशियल मीडिया की समझ रखने वाले कई कम्प्यूटर ऑपरेटरों से सम्पर्क साध लिया है। उसकी कोशिश है कि अनेक कम्प्यूटर से सुसज्जित वार रूम अभी दो शिफ्ट और चुनाव की गहमागहमी चरम पर पहुंचने से कुछ पहले चार शिफ्ट में काम करे। प्रत्याशी और उनकी छवि निखारने वाली अन्य फोटो की लाइब्रेरी तैयार की जा रही है। चुनाव राष्ट्रीय स्तर का होने के कारण राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों को भी साथ में उभारने की कोशिश की जाएगी।
भाजपा ने अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। उनके लिए सोशियल मीडिया पर वोट मांगने का काम शुरू भी हो गया है। कांग्रेस की सूची आने वाली है, कई अन्य प्रत्याशी भी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। चुनाव के प्रति गम्भीरता रखने वालों और उनके रणनीतिकारों को सोशियल मीडिया का महत्व पता है। इसे देखते हुए वे अपने प्रचार-प्रसार को अधिकाधिक प्रभावशाली बनाने की कोशिश करेंगे।
पहली बार प्रकोष्ठ और इतना महत्व
सोशियल मीडिया का दायरा और 'मारकÓ क्षमता बढऩे के बाद पहली बार कई प्रमुख राजनीतिक दलों ने इससे जुड़े प्रकोष्ठ अपने संगठन में बनाए हैं। न केवल इनमें पदाधिकारियों की 'फौजÓ तैयार की गई, उन्हें कार्यक्रमों आदि में पूरा महत्व दिया जा रहा है। दो मुख्य राजनीतिक दल तो अपने इन प्रकोष्ठों के प्रमुख पदाधिकारियों की जयपुर के बाद दिल्ली तक में 'क्लासÓ लगा चुके हैं। इनमें विशेषज्ञ के रूप में शामिल हुए दल के कई राष्ट्रीय पदाधिकारी यह 'ज्ञानÓ दे चुके हैं कि कैसे अपने दल की शान बढ़ानी है और कैसे प्रतिद्वंद्वी पर कटाक्ष करते हुए उसकी फजीहत करनी है।
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