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बिना पंजीयन व फिटनेस दौड़ रही बाल वाहिनीयां

- शिक्षा विभाग ने भी डीटीओ को उपलब्ध नहीं करवाई सूचना, प्रतिबंध के बावजूद ऑटो में ले जाए जा रहे बच्चे
श्रीगंगानगर  (एसबीटी)।  जिले में संचालित अधिकांश बाल वाहिनियों का पंजीयन ही नहीं है। जो पंजीकृत है उनमें से भी अधिकांश बसे ऐसी हैं जिनकी फिटनेस रब भरोसे है। इसके अलावा स्कूली बच्चों को थ्री व्हीलर में जिस तरह से लाया ले जाया जा रहा है, वह भी अभिभावकों को चिंता में डाल सकता है। जबकि परिवहन विभाग की और से ओटो में स्कूल बच्चो को लेजाने पर प्रतिबंध लगा रखा है।
जिला परिवहन अधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार क्षेत्र में 1400 से अधिक बालवाहिनी पंजीकृत हैं इनमें से कुछ 500 की ही फिटनेस विभाग के कायदों के हिसाब से ठीक हैं। जबकि अधिकांश बसे ऐसी है जिनकी फिटनेस का विभाग को कोई अंदाजा नहीं। वहीं इनमें से कई बसें बिना बालवाहिनी के परमिट के नौनिहालों का परिवहन कर रही हैं। तमाम परिवहन कायदों को ताक पर रखकर बच्चों को ऐसे वाहनों में लाया ले जाया जा रहा है, जो नियमानुसार अवैध की श्रेणी में आते हैं। स्कूली बच्चों का टैंपो के जरिए भी परिवहन किया जाता है। विभाग ने बीती 4 फरवरी को हुई बैठक में ओटो पर स्कूली बच्चों के परिवहन पर रोक लगा थी। इसके बावजूद थ्री व्हीलर से बच्चों को स्कूलों तक लाया जा रहा है। ग्रामीण इलाके में तो दस से अधिक स्कूली बच्चे भी टैंपो में बैठे देखे जा सकते हैं। चालक के अगल-बगल से लेकर पीछे की सीट भी बच्चे बैठा लिए जाते हैं। जबकि परिवहन विभाग के नियमों के मुताबिक एक टैंपो में पांच बच्चों से अधिक का परिवहन नहीं किया जा सकता। शहर में भी इसकी पालना में कोताही बरती जा रही है।
जिला परिवहन अधिकारी ने बताया कि हाल ही में शिक्षा विभाग से बाल वाहिनीयों की विस्तृत सूचना मांगी गई है। करीब 15 दिन पहले मांगी गई सूचना उपलब्ध नहीं करवाने पर जिला शिक्षा अधिकारियों व ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों को पून: स्मरण पत्र लिखा गया है। उन्होंने स्वीकार किया कि विभाग में जितनी बाल वाहिनीयां पंजीकृत हैं, उनमें से अधिकांश की फिटनेस फैल है। अब सूचना उपलब्ध होने पर कार्रवाई की जाएगी। तीन दिन पहले जोधपुर में हुई घटना के बाद विभाग के उच्चाधिकारियों ने भी परिवहन अधिकारियों को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
पंजीयन से तीन गुणा अधिक बाल वाहिनीयां
डीटीओ सूत्रों के अनुसार विभाग में बाल वाहिनी के तौर पर जितने वाहन पंजीकृत हैं, उससे कहीं ज्यादा तो जिला मुख्यालय पर स्थित बड़ी शिक्षण संस्थाओं के वाहन बच्चों को स्कूल तक ला रहे हैं। पूरे जिले में बाल वाहिनी के रूप में दौडऩे वाले वाहनों की संख्या 3000 से अधिक बताई जा रही है।
ये हैं नियम
डीटीओ सुमन बिश्नोई ने बताया कि बाल वाहिनी के रूप में उपयोग में लाया जाने वाला वाहन पीले रंग से रंगा हुआ होना चाहिए। वाहन पर बाल वाहिनी या विद्यालय के उपयोग संबंधी सूचना अंकित होनी चाहिए। वाहन पर विद्यालय का नाम, टेलीफोन नंबर तथा चालक का नाम भी अंकित होना चाहिए। बाल वाहिनी के दरवाजों पर लॉक होना चाहिए तथा यदि ऑटो को इस काम में लिया जा रहा है, तो ऑटो के ड्राइवर वाली साइड ऐसी ग्रिल होनी चाहिए कि बालक गिर ना सके। बाल वाहिनी की स्पीड अधिकतम 40 किमी प्रति घंटा होनी चाहिए। बाल वाहिनी में प्रथम चिकित्सा बॉक्स, पानी की व्यवस्था भी पर्याप्त होनी चाहिए।


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