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न सुनवायी, न अपील, ज्यादा चूं-चपड़ की तो ब्याज, जुर्माना और कैद!

- भवन मालिक को तो नोटिस मिलते ही जमा कराना है पैसा
- श्रम विभाग के कार्यवाहक उपायुक्त अमरचंद लहरी से एसबीटी की बातचीत
श्रीगंगानगर। हाल ही में श्रम विभाग ने जिले के वर्ष 2009 के बाद भवन निर्माण करने वाले सैकड़ों लोगों को उपकर वसूली के नोटिस जारी किए हैं। नोटिस देने का यह सिलसिला बना हुआ है। विभाग ने अब तक शहरी क्षेत्र के लोगों को नोटिस जारी किए हैं। नोटिस जारी करने में पक्षपात के आरोप लग रहे हैं। चुन-चुनकर नोटिस जारी हुए हैं।
श्रम विभाग पर बदनियती के आरोप भी लगे हैं। नोटिस की आड़ में बहुत बड़ा गेम खेला जा रहा है। अफसर कहते हैं कि इसके बाद जिले की सभी मंडियों और ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को नोटिस दिए जाएंगे। विभाग राज्य सरकार के निर्देशानुसार निर्धारित मापदंडों के अनुरूप उपकर राशि वसूल रहा है। इसमें प्रथम नोटिस के बाद जब दूसरा नोटिस दिया जाता है तो उसमें उपकर वसूली ब्याज सहित ली जाएगी। श्रम विभाग के कार्यवाहक उपायुक्त अमरचंद लहरी से एसबीटी न्यूज ने विशेष बातचीत की :
लोगों में जिज्ञासा है कि नोटिस क्यों जारी किए गए हैं, इनका कारण क्या है?
- श्रम विभाग के अधिनियम के मुताबिक वर्ष 2009 के बाद शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में जिन भी लोगों ने निर्माण कार्य किया है, उन्हें उपकर वसूली के नोटिस जारी किए जा रहे हैं। सरकारी और निजी भवन मकान मालिकों को यह नोटिस देने शुरू किए गए हैं। फिलहाल रिद्धि-सिद्धि कॉलोनी सहित अन्य कुछ कॉलोनियों में रहने वालेे लोगों को नोटिस दिए हैं।
नोटिस देने का क्राइट एरिया क्या है और किन-किन क्षेत्रों में जारी किया जा रहा है तथा कितनी संख्या में?
- श्रम विभाग द्वारा पूरे जिले के लोगों को नोटिस जारी किए जा रहे हैं। सरकार द्वारा इसके लिए निर्धारित दरें लागू की गई हैं। प्रथम नोटिस जारी होने के बाद द्वितीय नोटिस भी दिया जा रहा है। इसमें ब्याज का भी प्रावधान है। अभी तक पोश कॉलोनियों के लोगों को नोटिस दिए हैं। इसके अलावा कॉमर्शियल, हॉस्पीटल, दुकानदार, गोदाम, शिक्षण संस्थाएं आदि के लिए अलग-अलग दरें विभाग द्वारा निर्धारित की गई हैं। उसी अनुरूप उन्हें नोटिस जारी किए गए हैं। इनकी संख्या अभी तक 200 है। प्रतिदिन 30-35 नोटिस निकाले जा रहे हैं। आवासीय में दस लाख रुपए के निर्माण कार्य तक उपकर राशि वसूल की जाएगी।
दस लाख की सीमा में कौन से मकान आएंगे? उसका निर्धारण कौन करेगा?
- दस लाख की सीमा में आने वाले मकानों का निर्धारण श्रम विभाग करेगा। इसके लिए विभाग ने एक कमेटी जिला स्तर पर बना रखी है, जो लगातार कार्य कर रही है। सरकार ने आठ से दस कैटेगरी बनाई हैं, उसी हिसाब से उपकर वसूलने की कार्यवाही की जा रही है। यदि किसी मकान मालिक को समस्या आ रही है तो वह श्रम विभाग से सम्पर्क कर सकता है।
आवासीय और गैर आवासीय मकान को लेकर उपकर वसूली का सिस्टम क्या रहेगा?
- आवासीय और गैर आवासीय के लिए भी अलग-अलग दरें निर्धारित हैं। उसी अनुरूप वसूली की जानी है। उदाहरण के तौर पर एक आवासीय क्षेत्र, जिसका साइज 30&60 है यानी 1800 स्क्वेयर फीट। यदि उस पर 18 लाख रुपए खर्च हुए हैं तो उपकर की राशि 18 हजार रुपए बनती है। इसके अलावा मरम्मत आदि के लिए अलग दरें निर्धारित की गई हैं।
विभाग ने जो नोटिस जारी किए हैं, उसके साथ निर्धारित दरों का चार्ट नहीं है और न ही कुछ लिखा हुआ है कि कितना जमा करवाना है। यह अधूरी जानकारी तो नहीं है?
- विभाग ने जो नोटिस जारी किए हुए हैं, उसमें निर्धारित दरों का चार्ट तो नहीं दिया हुआ, लेकिन सारी जानकारी विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध है तथा जिस किसी भी व्यक्ति को नोटिस मिला है, वह विभाग से सम्पर्क भी कर सकता है। वैसे सामान्य निर्माण की दशा में करीब 100 रुपए वर्ग फुट प्रति मंजिल बैठती है यह राशि।
वर्ष 2009 और उसके बाद 2019 इतना लम्बा अंतराल आ गया, अब तक नोटिस जारी क्यों नहीं किए गए?
- वर्ष 2009 से लेकर 2019 तक का अंतराल काफी लम्बा है, लेकिन विभाग के पास स्टाफ कम है। 1993 के बाद कोई वकेंसी ही नहीं आई। 2018 के बाद श्रम विभाग में पद भरे गए हैं। तभी से राज्य सरकार के आदेश पर यह प्रक्रिया शुरू की गई है। वैसे भी, 22 जनवरी 2015 के बाद यूआईटी व नगरपरिषद को इसके लिए अधिकृत किया गया था।
उपकर किस पर लगेगा और लक्ष्य क्या है?
- उपकर सभी प्रकार के भवनों पर लगेगा। सड़क निर्माण या नहर निर्माण पर भी उपकर लगाया जा रहा है। श्रम विभाग में वेलफेयर स्कीम का दायरा बढ़ गया है। श्रीगंगानगर जिले को 15 करोड़ रुपए का टारगेट दिया गया है, जिसे मार्च तक पूरा करना है।
लोगों के नाम-पते की लिस्टें कहां से मिलीं?
- फिलहाल प्रथम फेज में नवविकसित कॉलोनियों को नोटिस दिए जा रहे हैं। इसके लिए पहले सर्वे करवाया गया है। जवाहरनगर और पुरानी आबादी क्षेत्रों में सर्वे हुआ है। 30 अप्रेल के बाद एक भी ऐसा नहीं बचेगा, जिसे नोटिस जारी नहीं किया हो। फिर भी कोई शिकायत आई तो कार्यवाही करेंगे।
चुनाव नजदीक हैं, जनता विरोध करेगी तो क्या करेंगे?
- जनता विरोध नहीं करेगी, क्योंकि जब उन्हें पता चलेगा कि उनके द्वारा जो उपकर के रूप में राशि दी जा रही है, वह वैलफेयर स्कीम में जाएगी। इन स्कीमों को चलाने के लिए पैसे की आवश्यकता रहती है।
नोटिस जारी करने से पहले लोगों को विश्वास में क्यों नहीं लिया?
- नोटिस जारी करने से पहले मीडिया का सहयोग लिया गया। अखबारों में वर्ष 2018 में प्रेसनोट जारी कर इसका समाचार प्रकाशित करवाया गया है। लोगों को जानकारी दी गई, टास्कफोर्स बनाई गई है। जिसकी मीटिंग भी हो रही है।
निर्धारित चार्ट में जो दरें हैं, उनका निर्धारण कौन कर रहा है?
- निर्धारित चार्ट में दरों के निर्धारण के लिए राज्य सरकार की ओर से राज्य स्तरीय कमेटी बनाई हुई है। जो इस मामले में कार्यवाही करती है।
लेबर एक्ट में क्या बाकी सब योजनाएं सही चल रही हैं?
- श्रम विभाग में जो भी योजनाएं हैं, वे सही ढंग से चल रही हैं। फिर भी अलग से ट्रिब्यूनल बना हुआ है। ईंट-भ_ों पर कार्य करने के लिए समय निर्धारित है। रविवार को अवकाश का प्रावधान रखा गया है। शिकायत मिलने पर तुरंत कार्यवाही की जाती है। इसके अलावा जो भी स्कीम चल रही हैं, उन पर तुरंत एक्शन लिया जाता है। इसके अलावा बालश्रम आदि के लिए भी समितियां बनी हैं। सीडब्ल्यूसी, चाइल्ड लेबर, मानव तस्करी यूनिट आदि के तहत कार्यवाही की जा रही है।
उपकर जमा नहीं करवाने पर क्या कार्यवाही हो सकती है?
- किसी भी व्यक्ति द्वारा यदि उपकर जमा नहीं करवाया जाता है तो उसे 15 दिन तक का एक नोटिस दिया जाता है। फिर दूसरे नोटिस के बाद प्रतिमाह दो प्रतिशत ब्याज वसूलने का प्रावधान है। फिर भी उपकर जमा नहीं करवाता तो रेवेन्यू एक्ट के तहत जिला कलेक्टर के माफर्त कुर्की आदि भी की जा सकती है। साथ ही इसमें सजा का भी प्रावधान है। यदि मकान मालिक को लगता है कि उसके मकान को मापने में गलती हुई है तो इसके लिए अपीलीय अथॉरिटी बीकानेर है, जहां वह इसकी शिकायत भी कर सकता है।
मंदी का दौर है, उपकर किश्तों में भी वसूला जा सकता है क्या?
- किश्तों में वसूलने का कोई प्रावधान नहीं है। एकमुश्त राशि देनी होती है। यह राशि ऑनलाइन या ईग्राम के माध्यम से डीडी जमा करवाया जा सकता है। साथ ही नेटबैंकिंग की भी सुविधा उपलब्ध है।
उपकर वसूली का 2009 से पहले क्या प्रावधान था?
- पहले वेलफेयर स्कीमें नहीं थी। 2013-14 के बाद इन स्कीमों को लागू किया गया। 27 जुलाई 2009 को राज्यस्तरीय बोर्ड बनाया गया, जिसमें यह प्रावधान रखा गया।


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