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भाजपा ने पन्द्रह जिलाध्यक्ष बदल दिए, अब श्रीगंगानगर की बारी

- नया जिलाध्यक्ष अरोड़ा हो या गैर अरोड़ा, इस पर फंसा है पेंच
श्रीगंगानगर। भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव से पहले बदलाव करते हुए प्रदेश में अपने पन्द्रह जिलाध्यक्षों को बदल दिया है। बदलाव की सूची में श्रीगंगानगर के पार्टी जिलाध्यक्ष हरि सिंह कामरा का नंबर नहीं आया है लेकिन अगली सूची में उनकी जगह किसी और नेता को बैठाया जाना तय माना जा रहा है। पेंच इस बात को लेकर फंसा है कि कामरा की जगह नया जिलाध्यक्ष  अरोड़ा बिरादरी से ही बनाया जाए या फिर अन्य बिरादरी को मौका दिया जाए। आने वाले दिनों इस पर फैसला होते ही नए जिलाध्यक्ष की नियुक्ति कर दी जाएगी।
पार्टी सूत्रों के अनुसार भाजपा आलाकमान लोकसभा चुनाव के हिसाब से काम करना चाह रहा है। यानी किसी जिलाध्यक्ष को हटाया जाना है तो उसकी जगह बेहतर विकल्प तलाश जा रहा है। कामरा के नेतृत्व को श्रीगंगानगर में चुनौती मिलती रही है। पार्टी कार्यकर्ता उन्हें हटाए जाने की मांग करते रहे हैं। कई बार पार्टी की बैठकों में भी कार्यकर्ताओं ने असंतोष जताया है।
कार्यकर्ताओं का कहना है कि श्रीबिजयनगर में निवास होने के कारण कामरा संगठनात्मक गतिविधियों को सुचारू रूप से नहीं चला पा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार आलाकमान ने नए जिलाध्यक्ष की तलाश शुरू कर दी है। लेकिन नया जिलाध्यक्ष अरोड़ा हो या गैर अरोड़ा, इस पर मंथन किया जा रहा है।
अभी तक श्रीगंगानगर में जिलाध्यक्ष की नियुक्ति करते समय ज्यादातर भाजपा ने अरोड़ा बिरादरी को ही तरजीह दी है। बहादुरचंद नारंग, अशोक नागपाल, महेन्द्र सिंह सोढ़ी, हरि सिंह कामरा इसके उदाहरण हैं। भाजपा ने अरोड़ा नेता को जिलाध्यक्ष बनाकर अरोड़वंश बिरादरी को तो राजी रखने मेंं सफलता हासिल की है लेकिन पार्टी के इस निर्णय पर अन्य बिरादरियों ने हमेशा आपत्ति उठाई है। अन्य बिरादरी के लोग एक ही जाति को तरजीह दिए जाने की मुखालफत करने रहे हैं। सूत्रों के अनुसार अशोक परनामी की छुट्टी होने के बाद श्रीगंगानगर में गैर अरोड़ा जिलाध्यक्ष बनाने की मांग उठने लगी, जो विधानसभा चुनाव में हार के बाद और तेज हो गई है। अरोड़ा बहुल कहे जाने वाले श्रीगंगानगर विधानसभा क्षेत्र में अरोड़ा प्रत्याशी विनीता आहूजा की करारी हार को भी इससे जोड़ा जा रहा है।

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