सीजेआई बोले- कॉलेजियम सिस्टम की आलोचना कर सकते हैं :लेकिन न्यायपालिका की स्वतंत्रता से समझौता नहीं, जज किसी भी बाहरी दबाव से मुक्त रहें
देश के चीफ जस्टिस बी.आर. गवई ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता को लेकर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि कॉलेजियम सिस्टम की आलोचना हो सकती है, लेकिन किसी भी व्यवस्था में न्यायपालिका की स्वतंत्रता से समझौता नहीं होना चाहिए। न्यायाधीशों को किसी भी बाहरी दबाव से मुक्त रहना चाहिए।
सीजेआई ने कहा- 1993 से पहले भारत में जजों की नियुक्ति का अंतिम फैसला सरकार के पास होता था और इस दौरान दो बार ऐसा हुआ जब सरकार ने सीनियर जजों को नजरअंदाज कर किसी और को मुख्य न्यायाधीश बना दिया। वहीं, उन्होंने रिटायर जजों के चुनाव लडऩे पर भी सवाल किया।
सीजेआई गवई लंदन में ्य सुप्रीम कोर्ट की ओर से आयोजित राउंड-टेबल में बोल रहे थे। इस चर्चा में भारत से जस्टिस विक्रम नाथ और यूके की सुप्रीम कोर्ट की जज बैरोनेस कार और जज जॉर्ज लेगैट भी शामिल हुए।
सीजेआई ने कहा- 1993 से पहले भारत में जजों की नियुक्ति का अंतिम फैसला सरकार के पास होता था और इस दौरान दो बार ऐसा हुआ जब सरकार ने सीनियर जजों को नजरअंदाज कर किसी और को मुख्य न्यायाधीश बना दिया। वहीं, उन्होंने रिटायर जजों के चुनाव लडऩे पर भी सवाल किया।
सीजेआई गवई लंदन में ्य सुप्रीम कोर्ट की ओर से आयोजित राउंड-टेबल में बोल रहे थे। इस चर्चा में भारत से जस्टिस विक्रम नाथ और यूके की सुप्रीम कोर्ट की जज बैरोनेस कार और जज जॉर्ज लेगैट भी शामिल हुए।
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