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सबकी एक ही प्रार्थना- हे मां...कोरोना से निजात दिलाओ

-मंदिरों के कपाट बंद, लोगों ने घरों मेंं घट स्थापना कर की नवरात्रों की शुरुआत
-घरों में बंद लोगों ने सोशल मीडिया के जरिए दीं नवरात्रों तथा नव संवत्सर की शुभकामनाएं
श्रीगंगानगर। चैत्र नवरात्रे आज से आरंभ हो गए। सभी लोगों ने अपने घरों में ही नवरात्रा उत्सव आरंभ किया। श्रद्धालुओं ने घरों में घट स्थापना की और पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना कर नवरात्रों के व्रत की शुरुआत की। लोगों ने इस मौके पर मां दुर्गा से कोरोना महामारी से निजात दिलाने की प्रार्थना की। इसी के साथ हिंदू नव वर्ष की भी शुरुआत हो गई। घरों मेंं बंद लोगों ने सोशल मीडिया के जरिए एक-दूसरे को नवरात्रों तथा नव संवत्सर की शुभकामनाएं दीं।
सामान्यतया नवरात्रों में मंदिरों में विशेष गहमागहमी रहती है। हजारों श्रद्धालु मंदिरों मेंं पूजा-अर्चना के लिए उमड़ते हैं लेकिन इस बार नवरात्रा स्थापना की शुरुआत के समय कोरोना वायरस प्रकोप के चलते लॉकडाउन की वजह से लोगों ने घरों में ही मां की आराधना की।
शहर के तमाम देवी मंदिरों मेंं नवरात्रों के मौके पर जहां खूब चहल पहल नजर आनी थी, वहां ताले लटके रहे और सन्नाटा पसरा नजर आया। मंदिरों मेंं केवल पुजारियों ने ही देवी की आराधना की।
पंडित सत्यपाल पाराशर ने बताया कि आज सूर्योदय के साथ ही नव संवत्सर और नवरात्रे शुरू हो गए। सूर्योदय से लेकर सुबह 11.15 बजे तक घट स्थापना की गई। इसी के साथ पूरे नौ दिन के लिए विधि-विधान से मां दुर्गा के अलग अलग रूपों की आराधना आरंभ हो गई। पहले दिन लोगों ने मां शैलपुत्री की आराधना कर समूची मानवता के कल्याण की कामना की।
उन्होंने बताया कि इस बार तिथि का क्षय नहीं होने के कारण पूरे नौ दिन तक पूजा अर्चना और व्रत का दौर चलेगा। दो अप्रेल को रामनवमी के दिन नवरात्रों का समापन होगा।
पंडित पाराशर ने बताया कि नवरात्रों के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा हुई। दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन मां चंद्रघंटा, चौथे दिन मां कूष्मांडा  पांचवें दिन मां स्कंध माता, छठे दिन मां कात्यायिनी, सातवें दिन मां कालरात्रि, आठवेंं दिन मां महागौरी तथा नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाएगी।
बाहर से ही किए दर्शन
घट स्थापाना से पहले व बाद में देवी के उपासकों ने दुर्गा मन्दिरों में जाकर माता के दरबार धोक लगाने के पूरे प्रयास किए। लेकिन लॉकडाउन के चलते उन्हें मन्दिर में प्रवेश नहीं मिला। ऐसे में श्रद्धालुओं ने दुर्गा मन्दिर की चोखट पर माथा टेक व जय माता दी बोल कर मॉं दुर्गा के दरबार के बाहर से ही दर्शन किए। इस दौरान माता के भगतों ने पूजन सामग्री भी पुजारियों को देने का प्रयास किया। परन्तु पुजारियों ने वह भी स्वीकार नहीं की।



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