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तीर्थ यात्रियों के दिल को छू गई भारत दर्शन ट्रेन

- घर जैसा खाना, देखभाल और आसानी से हो रहे धर्मस्थलों के दर्शन
- 55 साल से ज्यादा उम्र के हैं अधिकतर यात्री, उज्जैन क्षेत्र में दर्शनों के बाद सोमनाथ पहुंचे
श्रीगंगानगर (एसबीटी)। श्रीगंगानगर से पहली बार तीर्थ स्थलों के लिए चलाई गई भारत दर्शन ट्रेन यात्रियों के दिल को छू गई। खास बात ये है कि ट्रेन में सवार यात्रियों की उम्र 55 साल से ऊपर है। इनमें रिटायरमेंट वाले लोग भी शामिल हैं। ट्रेन में घर जैसा खाना और देखभाल की व्यवस्था है। आईआरसीटीसी की ओर से इस ट्रेन को चलाया गया है। आईआरसीटीसी चंडीगढ़ के क्षेत्रीय प्रबंधक एमपीएस राघव ने बताया कि करीब दो हफ्ते तक 12 से ज्यादा प्रमुख तीर्थ स्थलों के अलावा के साथ-साथ कुछ पर्यटन स्थलों पर भी यात्रियों को ले जाया जा रहा है।
ट्रेन में सवार यात्रियों ने एसबीटी से अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि श्रीगंगानगर से 5 दिन पहले रवाना हुई इस ट्रेन का पहला ठहराव उज्जैन रहा। यहां रुकने के बाद ममलेश्वर व ओंकारेश्वरम सहित अन्य तीर्थ व पर्यटक स्थलों के दर्शन यात्रियों को कराए गए। कुछ सफर बस में कराया गया। इसकी व्यवस्था आईआरसीटीसी ही कर रहा है। दर्शन के दौरान प्रसाद के अलावा सभी खर्च आईआरसीटीसी वहन कर रही है। वहीं ठहराव वाली कई जगहों पर 15 बसों को इंतजाम भी किया गया है। इन बसों से तीर्थ व पर्यटन स्थल के द्वार तक यात्रियों को ले जाया जाता है। सभी बसों को 15 मिनट के गैप में एक-एक करके चलाया जाता है। इससे दर्शन करते वक्त भीड़ नहीं होती। इस ट्रेन में दूसरे यात्री सवार नहीं हो सकते। इसके लिए बकायदा हर कोच के गेट पर 3 लोगों की ड्यूटी लगी होती है। श्रीगंगानगर स्टेशन से लगभग 550 लोग सवार हुए। ज्यादातर लोग श्रींगगानगर-हनुमानगढ़ जिले के हैं। ट्रेन और ठहराव स्थल जैसे धर्मशाला-होटल आदि में बिस्तर, वॉशरूम आदि की सुविधाएं में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। प्राथमिक  चिकित्सा उपचार की व्यवस्था भी है। हालांकि यात्रियों को अपने साथ जरूरी दवाएं लेकर चलने के लिए पहले से ही कहा गया था। इसमें 12 कोच हैं, जिसमेें 800 से अधिक यात्रियों की बुकिंग हुई। लगभग साढ़े 12 हजार रुपए का पैकेज है।
 ये है खाने-पीने का शेड्यूल
सुबह दस बजे तक दो बार जरूरत अनुसार चाय दी जाती है। इसके साथ बिस्किट, ब्रेड टोस्ट वगैरह ले सकते हैं। दोपहर 12 बजे लंच में सब्जी, रायता, चावल, आचार व अन्य दिया जाता है। इसके बाद शाम को 4 बजे के लगभग चाय, बिस्किट व स्नेक्स की व्यवस्था रहती है। फिर शाम को 6-7 बजे के मध्य पकौड़े व कुछ स्नेक्स दिया जाता है। इसके बाद डिनर में दाल, एक सब्जी व चपाती आदि परोसा जाता है। यहां एक किचन के अलावा राशन के लिए 2 अलग-अलग से जगह निर्धारित की गई हैं। एक कोच में 3 लोग निगरानी व देखभाल के लिए रहते हैं। इनमें से एक व्यक्ति गाइड का काम करता है।

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