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अपना सभापति बनाने के लिए एक छतरी के नीचे आने की तैयारी!

- ऐसे भी बन सकते हैं समीकरण
श्रीगंगानगर। पार्षद पद के चुनाव परिणाम सामने आने के बाद नगर परिषद में सभापति पद के लिए राजनैतिक भागदौड़ शुरु हो गई है। इसी संदर्भ में अपने कुनबे का सभापति बनाने के लिए कुछ कांग्रेसी और भाजपाइयों के एक छतरी के नीचे आने की चर्चाएं हैं। इन लोगों के पार्टी नेताओं से अलग होकर संयुक्त धड़ा बनाने की भी चर्चा है।
इस चर्चा के अनुसार कांग्रेस-भाजपा के कुछ नेता अपनी पार्टी से अलग होकर संयुक्त धड़ा बनाने के लिए प्रयासरत हंैं। इनकी मंशा है कि पार्टी से इतर किसी ऐसे नाम पर सहमति बने, जो उनके धड़े से हो। इसके लिए सब आपस में उपलब्ध विकल्पों पर विचार कर रहे हंै। साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि किसके पास, कितने पार्षद हैं? क्या सभी को मिलाकर पर्याप्त संख्याबल जुटाया जा सकता है? चर्चा ये भी है कि पर्याप्त संख्याबल न जुटने की स्थिति में किसी ऐसे की मदद ली जाए, जो इन दोनों पार्टियों से बंधा ना हो लेकिन उसके पास आवश्यक पार्षद हों। इस बीच, संयुक्त धड़े द्वारा गंगानगर विधायक से भी सम्पर्क करने की चर्चा है। हालांकि सम्पर्क करने पर विधायक सहित अन्य ने इससे मना किया है।
गंगानगर विधायक राजकुमार गौड़ ने इससे इनकार करते हुए कहा कि उनसे अभी तक किसी ने सम्पर्क नहीं किया है। सभापति चुनाव के लिए भाजपा के लोग उनसे भला क्यों सम्पर्क करेंगे? कांग्रेस की तरफ से भी ऐसी कोई जानकारी नहीं है। नवनिर्वाचित पार्षदों को शहरहित में निर्णय करना चाहिए। सर्वहित को ध्यान में रखकर जो समान रूप से काम करे, उसे ही नगर परिषद बोर्ड की कमान सौंपनी चाहिए।
कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष शिवदयाल गुप्ता ने भी ऐसी चर्चा को निराधार बताते हुए कहा कि वे सदैव पार्टी के साथ रहे हैं। आगे भी पार्टी के निर्णय को स्वीकारेंगे। पार्टी से अलग होकर कोई निर्णय करने का सवाल ही नहीं उठता।
कांग्रेस के विजय जिन्दल ने भी गुप्ता का समर्थन करते हुए दोहराया कि वे पार्टी से बंधे हुए हैं। पार्टी की ओर से सभापति पद के लिए जिस उम्मीदवार का नाम फाइनल किया जाएगा, उसका समर्थन करेंगे। वे पार्टी से अलग नहीं हैं।
इस बारे सम्पर्क करने पर भाजपा नेता पवन गौड़ ने भी हैरानी जताते हुए कहा कि उनके पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है। गौड़ ने कहा कि सभापति के मामले में पार्टी द्वारा अपने स्तर पर आवश्यक कार्रवाई की जा रही है।
अजय दावड़ा लक्की ने भी इसे निराधार बताते हुए कहा कि सर्वाधिक पार्षद भाजपा टिकट पर जीते हैं। कांग्रेस के पास पर्याप्त पार्षद नहीं हैं, इसलिए ऐसी अफवाह फैलाई जा रही है। उन्होंने कहा कि बोर्ड भाजपा का ही बनेगा।


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