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पेड़-पौधों को लगाते समय भी ध्यान में रखें वास्तु

वास्तुशास्त्र का हर किसी व्यक्ति के जीवन में प्रभाव देखने को मिलता है। आज कई लोग अपना घर बनवाते समय, यहां तक की घर की साज -सज्जा में भी वास्तु का विशेष ध्यान रखते हैं। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि खराब वास्तु आस-पास नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करता है।  वास्तुशास्त्र का संबंध घर के अलावा पेड़-पौधों से भी होता है। ऐसा माना जाता है कि कुछ वृक्ष सकारात्मक ऊर्जा देते हैं लेकिन उनका सही दिशा में लगा होना जरूरी होता है। जैसे पीपल, बरगद, नीम, शमी और बांस के पेड़ बहुत अच्छे माने गये हैं। लेकिन इन पेड़ों को घर के द्वार के सामने नहीं लगाया जा सकता। जानिए पेड़ पौधों को लेकर क्या कहता है वास्तुशास्त्रज्
वास्तुशास्त्र अनुसार बैर, पाकड़, बबूल, गूलर आदि पेड़ घर में दुश्मनी पैदा करते हैं। इसलिए इन्हें घर में नहीं लगाना चाहिए साथ ही घर में कैक्टस के पौधे भी नहीं लगाएं।
जामुन और अमरूद को छोड़कर अन्य कोई भी फलदार वृक्ष घर की सीमा में नहीं होने चाहिए। इससे बच्चों के स्वास्थ्य पर बूरा प्रभाव पड़ता है।
घर की दक्षिण दिशा में गुलमोहर, कटहल और पाकड़ के वृक्ष लगाने से शत्रुता, असंतोष और कलह होने की आशंका रहती है। इसलिए इन पेड़ों को लगाते समय विशेष सावधानी बरतें।
कदम्ब, केला और नींबू के पेड़ का भी घर में होना अच्छा नहीं माना गया है इससे घर के मालिक के विकास में बाधा उत्पन्न होती है। इसलिए इन पेड़ों को लगाते समय सही दिशा का ज्ञान जरूर ले लें।
रहने वाली जगह पर दूध वाले वृक्ष लगाने से धनहानि होती है। इसलिए इस तरह के पेड़ भी घर में न लगाएं।
जिन पेड़ों से गोंद निकलता उन्हें भी घर के अंदर नहीं लगाना चाहिए। इससे धन हानि होने की आशंका रहती है।
दक्षिण पूर्व दिशा की तरफ पलाश, बरगद, लाल गुलाब लगाना अशुभ एवं कष्टदायक साबित होता है। घर की पूर्व दिशा की ओर पीपल और बरगद के पेड़ भी नहीं लगाने चाहिए। इससे सेहत पर बुरा प्रभाव, मान-सम्मान में कमी और अपकीर्ति हो सकती है।
ध्यान रखें कि पूर्व में पीपल, अग्निकोण में दुग्धदार पेड़, दक्षिण दिशा में पाकड़, निम्ब, पश्चिम में कांटेदार वृक्ष, उत्तर में केला, छाई, गूलर के पेड़ और ईशान दिशा में कदली के वृक्ष नहीं लगाने चाहिए।

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