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हमारी गोशालाओं में खूब गाय हैं, आइए उनके गले लगकर देखें

- अमरीका में लोगों का दावा-गायों के गले लगने से हो जाते हैं रिलेक्स
श्रीगंगानगर। अमरीका से आई एक खबर प्रेरणादायी है। खबर में कहा गया है कि गायों के गले लगकर अमरीकी लोग तनाव से मुक्त हो रहे हैं। इसके लिए लोग बाकायदा गोपालकों के पास जाते हैं और उन्हें पैसा चुकाकर गायों के गले लगने का अवसर पा रहे हैं। इस खबर से हम सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए। हमारे यहां गोशालाओं मेंं खूब गाय हैं। हम भी वहां जाकर अमरीकियों की तरह गायों को गले लगा सकते हैं।
गायों के गले लगकर तनाव से मुक्ति पाने की कोशिश का चलन यूरोप में तो पहले से था, अब अमरीकी भी इसका अनुसरण कर रहे हैं। खबर में कहा गया है कि अमरीका मेंं लोग एक घंटे तक गाय के साथ रहने का 5100 रुपया चुका रहे हैं। वे मानते हैं कि गाय की धड़कनें उन्हें रिलेक्स कर देती हैं। वे जब तक गाय के सान्निध्य में रहते हैं, अपनी परेशानी भूल जाते हैं।
जो कुछ अमरीकी और यूरोपीय देशों के लोग आज कर रहे हैं, वह अपनी परंपरा का हिस्सा रहा है। हमारे यहां पशुओं के साथ प्रेम सदियों पूर्व पनपा था। श्रीकृष्ण और गोप-गोपियों के चित्र मानो गाय और बछड़ों की आकृति के बिना पूर्ण ही नहीं होते।
जिन घरों में पशुपालन होता रहा है, वहां स्वाभाविक रूप से कई-कई घंटे पशुओं के साथ ही बीतते रहे हैं। भोर ही पशुओं के सान्निध्य में हुआ करती थी और गोधूली बेला में घर लौटते पशुओं के गले की घंटियों की समधुर ध्वनि को सुन कर शाम। समय के साथ काफी कुछ बदल गया। इसी बदलाव के कारण न तो हम पशुओं के करीब रहे और न ही हम पशुओं को करीब आने देना चाहते हैं। बेसहारा पशुओं की समस्या इसी का परिणाम है।
यूरोप और अमरीका में गायों के गले लगने का जो चलन शुरू हुआ है, वह यकीकन भारत की परंपराओं ही प्रेरणा है। दुर्भाग्य से, हम अपनी परंपराओं को भूल गए हैं। आज अगर अमरीकी गायों से लाभ पा रहे हैं, सुकून हासिल कर रहे हैं, अपनी परेशानियों से मुक्त हो रहे हैं तो हम ऐसा क्यों नहीं कर सकते?
शहर में गोशालाओं की कमी नहीं है। गोशालाओं में बेशुमार गाय हैं। सुखाडिय़ा सर्किल की गोशाला नजदीक पड़ती है तो वहां जाइए। पदमपुर मार्ग की गोशाला नजदीक समझें तो वहां जा सकते हैं। किसी तीसरी गोशाला को पास पाएं तो वहां जाएं। मूक पशु आप पर अपना प्रेम रस उड़ेलने के लिए तैयार बैठे हैं। एक बार उनके गले लगकर तो देखिए। अमरीकियों की प्रेरणा से ही सही, अपनी भूली-बिसरी परंपराओं को जीवित करें।
 अमरीकी गायों के गले लगने के एवज में एक घंटे के 5100 रुपए का भुगतान कर रहे हैं। हम महीने के दो-चार सौ ही दें। गायों के गले लगने से आपको क्या हासिल हुआ, यह तो आपका अनुभव बताएगा मगर एक बात पक्की है गायों और हमारे बीच पनपी दूरी तो खत्म हो जाएगी। गोशालाओं के ऊपर मंडरा रहा आर्थिक संकट भी हल करने में सहयोग मिलेगा। एक छोटी सी शुरुआत बहुत बड़े परिणाम लेकर आएगी।


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