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सरकार के नए कदम से धानमंडियों में कारोबार प्रभावित होने की आशंका

- राजस्थान कृषि उपज मंडी अधिनियम की उपविधियों में संशोधन को मिली मंजूरी
श्रीगंगानगर (एसबीटी)। प्रदेश की धानमंडियों में राज्य सरकार के नए कदम से कारोबार प्रभावित होने की आशंका है। बीते गुरुवार को विधानसभा में राजस्थान कृषि उपज मंडी अधिनियम की उपविधियों में संशोधन को मंजूरी दे दी गई। इसके तहत किसानों को फसल का बेहतर मूल्य दिलाने के लिए राज्य सरकार व्यापारियों व अन्य कंपनियों को कृषि जिंसों की सीधी खरीद के लिए लाइसेंस जारी करेगी।
विधानसभा में पेश संशोधन प्रस्ताव के अनुसार कृषि विपणन प्रणाली को प्रभावी और सशक्त बनाकर किसानों को फसल का बेहतर मूल्य दिलाया जाएगा। संशोधन प्रस्ताव के मंजूर होने के बाद किसान को उसके निकटतम कृषि उपज खरीद केंद्र उपलब्ध कराने के लिए व्यापारियों को सीधी खरीद के लाइसेंस जारी किए जा सकेंगे। कृषक उत्पाद समूह (एफपीओ) और कृषक उत्पाद कंपनी (एफपीसी) को भी कृषि जिंस की सीधी खरीद के लिए लाइसेंस दिए जा सकेंगे।
वर्तमान में कृषि उपज मंडी समिति की उप विधियों में सीधी खरीद के लिए लाइसेंस के लिए 500 या 1000 टन प्रतिवर्ष कृषि जिंस की खरीद, 50 लाख रुपए की नेटवर्थ तथा एक दिन की औसत खरीद के मूल्यांकन के बराबर प्रतिभूति जमा करवाना जरुरी है। एफपीओ एवं एफपीसी के इन प्रावधानों की पूर्ति करने में सक्षम नहीं होने के कारण सरकार का इन शर्तांे में संशोधन कर उन्हें राहत देने का प्रयास है। अब एफपीओ एवं एफपीसी के लिए प्रति वर्ष न्यूनतम 100 टन खरीद एवं एक लाख रुपए की प्रतिभूति की शर्त ही रखी गई है।
सरकार के प्रस्ताव पर मंडी व्यापारियों ने कारोबार घटने की आशंका जताई है। राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के अनुसार सरकार के इस कदम के बाद मंडियों में जहां कारोबार घटेगा, वहीं मंडियों से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रुप से जुड़़े लोगों पर भी असर पड़ेगा। जब व्यापारी किसानों से सीधी खरीद करेंगे, तो मंडियों में माल लेकर कौन आएगा? जाहिर है धानमंडियां माल के लिए तरस जाएंगी। इससे व्यापारियों, मंडी मजदूरों को तो नुकसान होगा ही, सरकार को भी राजस्व का घाटा उठाना पड़ेगा। गंगानगर-हनुमानगढ़ खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के जिलाध्यक्ष हनुमान गोयल ने बताया कि जब सरकार ने कृषि जिंसों की खरीद के लिए कृषि उपज मंडी समितियां बनाई हैं तो फिर उसी के नियमानुसार कार्रवाई होनी चाहिए। सरकार सीधी खरीद के लिए व्यापारियों को लाइसेंस देने का नियम क्यों प्रभावी कर रही है?


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