गंगनहर में 2300 क्यूसेक हुआ पानी
- कई नहरों को मिलेगी क्षतिपूर्ति
श्रीगंगानगर। पंजाब से नहरों में आ रही केलियों की वजह से नहर के टूटने का खतरा पैदा हो जाने से पानी का उतार-चढ़ाव बना हुआ था। पिछले तीन-चार दिनों में 1200 से लेकर 1500 के बीच पानी चला। इस वजह से कई नहरों के किसानों की बारियां सूखी चली गईं।
इस क्षेत्र में बारिश कम होने से किसानों को पानी की बेहद आवश्यकता है। कृषक विश्राम गृह में आज हुई रेगूलेशन कमेटी की बैठक में यह मुद्दा छाया रहा। कमेटी के वरिष्ठ सदस्य सुभाष मोयल, मंजीत सिंह आदि ने बताया कि वर्तमान में गंगनहर में 2300 क्यूसेक पानी हो चुका है। इस कारण जिन नहरों के किसानों की बारियां पिटी थीं, उन्हें क्षतिपूर्ति मिलेगी। यदि पानी और बढ़ा तो सभी किसानों को रेगूलेशन के मुताबिक पानी मिलता रहेगा। सदस्यों ने अधिकारियों के समक्ष यह मांग रखी कि पंजाब में राजस्थान के भी अधिकारी बैठते हैं। उनका यह दायित्व है कि वे केली निकलवाने का प्रबंध करते रहें ताकि पानी कम न हो। बरसाती सीजन शुरू होने से केली अधिक मात्रा में आएगी। इसके अभी से इंतजाम होने चाहिएं।
श्रीगंगानगर। पंजाब से नहरों में आ रही केलियों की वजह से नहर के टूटने का खतरा पैदा हो जाने से पानी का उतार-चढ़ाव बना हुआ था। पिछले तीन-चार दिनों में 1200 से लेकर 1500 के बीच पानी चला। इस वजह से कई नहरों के किसानों की बारियां सूखी चली गईं।
इस क्षेत्र में बारिश कम होने से किसानों को पानी की बेहद आवश्यकता है। कृषक विश्राम गृह में आज हुई रेगूलेशन कमेटी की बैठक में यह मुद्दा छाया रहा। कमेटी के वरिष्ठ सदस्य सुभाष मोयल, मंजीत सिंह आदि ने बताया कि वर्तमान में गंगनहर में 2300 क्यूसेक पानी हो चुका है। इस कारण जिन नहरों के किसानों की बारियां पिटी थीं, उन्हें क्षतिपूर्ति मिलेगी। यदि पानी और बढ़ा तो सभी किसानों को रेगूलेशन के मुताबिक पानी मिलता रहेगा। सदस्यों ने अधिकारियों के समक्ष यह मांग रखी कि पंजाब में राजस्थान के भी अधिकारी बैठते हैं। उनका यह दायित्व है कि वे केली निकलवाने का प्रबंध करते रहें ताकि पानी कम न हो। बरसाती सीजन शुरू होने से केली अधिक मात्रा में आएगी। इसके अभी से इंतजाम होने चाहिएं।
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