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ऐसे नहीं तो वैसे सही, यूं ना कहे आए नहीं

- मतदान में अब 100 घंटे भी नहीं शेष, माहौल नहीं बना वैसा, सोच रहे थे जैसा
श्रीगंगानगर। लोकसभा चुनाव के लिए मतदान में अब सौ घंटे भी शेष नहीं रहे हैं। प्रमुख प्रत्याशियों, उनके राजनीतिक दलों एवं रणनीतिकारों के पूरी ताकत झौंकने के बाद भी वो माहौल अभी तक नहीं बन पाया है जो विधानसभा चुनाव के समय था। काफी लोग सोच रहे थे चुनावी सरगर्मी काफी बढ़ेगी और सब कुछ चुनावमय हो जाएगा लेकिन ऐसा अभी तक तो नहीं हो पाया है।
इधर, कई वरिष्ठ राजनीतिज्ञ अपने दल के प्रत्याशी के लिए श्रीगंगानगर संसदीय क्षेत्र में आए तो हैं लेकिन उन्होंने न कोई बड़ी सभा की ना ही किसी बड़ी सभा में शामिल हुए। ऐसे नेताओं की सूची में कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता, पूर्व केंद्रीय मंत्री आनन्द शर्मा एवं राज्य के ऊर्जा और जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री प्रो. बी.डी. कल्ला शामिल हैं। इनके आने और जाने के बीच मुख्य रूप से प्रेस कांफ्रेंस ही हुई और वो भी शायद इसलिए कि उनकी हाजरी लग जाए। अपने प्रत्याशी और अपनी पार्टी के लिए वोट की चाहत में इन लोगों ने यही एकमात्र रास्ता चुना।
राजनीति के जानकारों के अनुसार कई राजनीतिक दल बड़े माने जाने वाले नेताओं की जगह-जगह सिर्फ प्रेस कांफ्रेंस का रास्ता चुनते हैं।
उन्हें लगता है कि इससे एक तो अधिक तामझाम नहीं करना पड़ता, खर्चा भी नाम मात्र होता है और प्रचार-प्रसार प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रोनिक मीडिया के माध्यम से उतना हो जाता है, जितना किसी सभा आदि के माध्यम से होता है। कई ऐसे लोग भी हैं जो मानते हैं कि अपने दम पर भीड़ जुटाने की क्षमता नहीं रखने वाले नेता इस रास्ते को अधिक पसंद करते हैं।
या तो वे सिर्फ पे्रेस कांफे्रंस के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने की कोशिश करते हैं या फिर अपने दल के किसी बड़े नेता की सभा या कार्यक्रम का हिस्सा बन जाते हैं।


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