Breaking News

गंगानगर के दो किसानों ने उगाया 'काला गेहूंÓ

- खेतों में फसल पककर तैयार, कटाई के बाद जल्द आयेगा काला गेहूं बिकने के लिए बाजार में
श्रीगंगानगर। कृषि कार्यांे में नवाचारों के लिए देश-प्रदेश में चर्चित गंगानगर जिले ने एक और नवाचार किया है। श्रीबिजयनगर तहसील के गांव 5 जेकेएम निवासी सत्यनारायण गोदारा और पदमपुर तहसील के गांव गोविन्दपुरा निवासी अक्षयकुमार झाझडिय़ा ने खेतों में 'काला गेहूंÓ उगाया है। खेतों में खड़ा ये 'काला गेहूंÓ देखने में भले गेहूं की दूसरी किस्मों जैसा लगे, लेकिन पौष्टिकता और गुणवत्ता में अलग है।
गोदारा ने डेढ़ जबकि झाझडिय़ा ने साढ़े चार बीघे में 'काला गेहूंÓ उगा रखा है। दोनों के खेतों में फसल बढिया कंडीशन में है और झाड़ भी औसतन अच्छा मिलने की संभावना है। दोनों ने पहली बार नवाचार के रुप में 'काले गेहूंÓ की खेती की है। अक्षय के पिता भूपसिंह नई धानमंडी में फर्म शंकरलाल-संजयकुमार के जरिए कारोबार संभालते हंै जबकि अक्षय खेतीबाड़ी। किसी से जानकारी मिली तो महाराष्ट्र से 'काले गेहूंÓ का बीज 250 रुपए किलो की दर से मंगवा खेतों मेें लगा दिया। अब फसल पककर तैयार है और तकरीबन 15 दिनों बाद कटकर बाजार में आ जाएगी। अक्षय को उम्मीद है कि 1482 जैसी गेहूं की उन्नत किस्मों की तरह 'काला गेहूंÓ भी लोगों को पसंद आएगा।
इसका समर्थन करते हुए सत्यनारायण गोदारा कहते हैं- 'काले गेहूंÓ के आटे से बनी रोटी साधारण आटे के मुकाबले में ज्यादा पौष्टिक और गुणकारी है। साधारण गेहूं में एंथोसाइनिन की मात्रा 5-15 प्रति मिलियन के आसपास होती है, वहीं 'काले गेहूंÓ में 40-140 पीपीएम तक होती है। यह शरीर से फ्री रेडिकल्स बाहर निकालने में मदद करता है। इसके दाने काले रंग के होंगे जबकि रोटी भूरे रंग की बनेगी। उनके अनुसार शुगर रोगियों के लिए 'काला गेहूंÓ अच्छा विकल्प है। दूसरी किस्मों की तुलना में यह स्वास्थ्यवद्र्धक है।


No comments