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वीवीपैट और ईवीएम के मिलान की संख्या बढ़ाने के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को चुनाव आयोग से कहा कि अगर कोर्ट हर विधानसभा क्षेत्र के एक मतदान केंद्र में ईवीएम और वीवीपैट के मिलान के मौजूदा सिस्टम को बढ़ाने का आदेश देता है तो आयोग को क्या परेशानी आएगी। इस पर आयोग ने कहा कि मौजूदा सिस्टम पूरी तरह से सटीक है। बहरहाल, शीर्ष अदालत ने विपक्षी दलों ने याचिका पर चुनाव आयोग से 28 मार्च तक जवाब मांगा है। विपक्षी दलों ने मांग की है कि कम से कम 50 फीसदी वीवीपैट के सैंपल सर्वे लिए जाएं। फिलहाल, अभी हर विधानसभा क्षेत्र के एक पोलिंग बूथ पर वीवीपैट पर्चियों का ईवीएम से मिलान किया जाता है। मामले की अगली सुनवाई 1 अप्रैल को होगी।   चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने सोमवार को चुनाव उपायुक्त सुदीप जैन से इस बारे में सवाल-जवाब किया। जैन ने कहा कि आयोग मौजूदा सिस्टम से संतुष्ट है। इस पर पीठ ने कहा, 'क्यों आयोग खुद से वीवीपैट और ईवीएम के मिलान की मौजूदा सिस्टम को क्यों नहीं बढ़ाता है। न्यायपालिका सहित कोई ऐसा संस्थान नहीं है जो खुद में सुधार न करना चाहता हो। आखिर इसके लिए कोर्ट को आदेश क्यों देना पड़े। क्यों नहीं आयोग ने खुद इसकी पहल की।Ó  याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि 50 फीसदी ईवीएम और वीवीपैट के मिलान में महज तीन से चार घंटे का वक्त लगेगा।
21 दलों ने दायर की है याचिका
आंध्र देश के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल सहित 21 विपक्षी दलों के नेताओं ने याचिका में कहा कि ईवीएम और वीवीपैट की विश्वसनीयता पर पहले ही सवाल है, लिहाजा निष्पक्ष चुनाव के लिए कम से कम 50 फीसदी ईवीएम और वीवीपैट का मिलान किया जाना चाहिए। लोकसभा चुनाव का परिणाम घोषित करने से पहले इसके लिए औचक निरीक्षण होना चाहिए।

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