रिटायर जजों की ट्रिब्यूनल में नियुक्ति न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर धब्बा : सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अद्र्ध-न्यायिक न्यायाधिकरण (ट्रिब्यूनल) में रिटायर जजों की नियुक्ति को लेकर तीखी टिप्पणी की। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह अहम दृष्टिकोण है कि रिटायरमेंट के बाद जजों की ट्रिब्यूनलों में नियुक्ति न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर धब्बे के समान है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने देश के सभी हाईकोर्ट के हालात पर भी तीखी टिप्पणियां कीं। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ संविधान पीठ उन 18 याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी, जिनमें अद्र्धन्यायिक ट्रिब्यूनलों को संचालित करने वाले कानूनों को चुनौती दी गई थी। चीफ जस्टिस के साथ जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की मौजूदगी वाली पीठ ने इस सुनवाई के दौरान कहा कि अमूमन रिटायर हाईकोर्ट जज इन ट्रिब्यूनलों में नियुक्ति के इच्छुक नहीं होते, क्योंकि नियुक्तियों में बहुत देरी होती है। पीठ ने कहा, एक दृष्टिकोण है कि रिटायरमेंट के बाद नियुक्ति न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर खुद ही एक धब्बा है। आप इसे कैसे संभालेंगे यह एक वैध और मजबूत मुद्दा है। न्यायपालिका के ट्रिब्यूनलाइजेशन के मुद्दे पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि यह प्रक्रिया हाईकोर्ट का बोझ कम करने के लिए की गई थी, जहां रिक्तियों की संख्या बेहद गंभीर है। शीर्ष अदालत ने सभी हाईकोर्ट में भारी संख्या में रिक्तियां होने पर अफसोस जताया और कहा कि हाईकोर्ट कॉलेजियम भी नियुक्तियों के लिए सिफारिश नहीं कर रहे हैं। पीठ ने कहा, हर समस्या के लिए सरकार को दोष नहीं देना चाहिए।
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